न्यूज़ डेस्क (निकुंजा राव): देश में कोरोना (Corona) का कहर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। संक्रमित मरीजों के 1 लाख 91 हजार आंकड़े के साथ वायरस इन्फेक्शन सूची में भारत में जर्मनी (Germany) और फ्रांस (France) को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा संक्रमित मरीजों के आंकड़ों के अनुसार संक्रमण के आधे मामले लॉकडाउन 4.0 के दौरान दर्ज किए गए। जिस रफ्तार से इंफेक्शन देश भर में फैल रहा है उसे देखते हुए सामुदायिक संक्रमण की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह के मुताबिक देश के कुछ हिस्सों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से पांव पसार रहा है। इस तथ्य का खुलासा करने वाली टीम में ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेन्टिव एंड सोशल मेडिसिन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ शामिल है। टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार इंफेक्शन नियंत्रण करने के लिए एपिडेमियोलॉजिस्ट से रायशुमारी नहीं की गई। जिसकी वजह से हालात नाजुक मोड़ की ओर जाते दिख रहे हैं।
रिपोर्ट के अगले हिस्से में बताया गया है कि, मौजूदा हालातों में बीमारी खत्म करना लगभग नामुमकिन सा है। इस स्टेज में जनसांख्यिकी आधारों पर देश के कई हिस्सों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से फैल रहा है। लॉकडाउन की कवायद से सिर्फ इतना ही फायदा हुआ है कि, संक्रमण काल में इजाफा होने के साथ देश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ा। इससे सिर्फ इंफेक्शन की रफ्तार को धीमा करने में मदद मिली।
25 मार्च को लगे पहले लॉकडाउन के दौरान केवल 606 इंफेक्शन के मामले दर्ज किए गए थे। 1 जून तक संक्रमित मरीजों की संख्या 1,91,327 हो गई। टीम इन आंकड़ों के विश्लेषण से इस नतीजे पर पहुंची कि, संक्रमण के नए मामलों में लगातार रफ्तार आ रही है। फिलहाल इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय में सौंपा जा चुका है। रिपोर्ट के आधार केंद्र सरकार को आगे की रणनीति तय करने में मदद करेगी।