नई दिल्ली (निकुंजा राव): राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रोजाना कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामलों में इज़ाफा जारी है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज (27 मार्च) इस उन्होनें दावा किया कि लॉकडाउन बढ़ते कोरोनोवायरस संक्रमण से निपटने का हल नहीं है।
उन्होनें आगे कहा कि, दिल्ली में फिर से लॉकडाउन की कोई संभावना नहीं है। पहले एक बार लॉकडाउन लग चुका है। इसके पीछे एक तर्क था। उस समय किसी को नहीं पता था कि वायरस कैसे फैलता है। तब ये कहा गया था कि संक्रमित होने के बाद वायरस का असर 14 दिनों तक रहता है। इसके बाद फिर विशेषज्ञों ने कहा कि अगर 21 दिनों तक सभी गतिविधियां बंद रहती हैं तो वायरस फैलना बंद हो जायेगा। तब भी लॉकडाउन का विस्तार होता रहा लेकिन इसके बावजूद कोरोनो वायरस फैलने बंद नहीं हुआ। मुझे लगता है कि लॉकडाउन एक समाधान नहीं है। पहले कम मामले थे लेकिन अब ये बढ़ गया। इसलिए हमने हर दिन टेस्टों में भारी इज़ाफा किया। अब राजधानी दिल्ली में रोजाना 85,000-90,000 टेस्ट हो रहे है। जो कि राष्ट्रीय औसत से 5 प्रतिशत ज्यादा है। दिल्ली सरकार लगातार ट्रैसिंग और आइसोलेशन पर जोर दे रही है।
दिल्ली सरकार की तैयारियों पर उन्होनें कहा कि, COVID-19 मरीज़ों के लिए अस्पताल में पर्याप्त बेड उपलब्ध हैं। अभी महज़ 20 फीसदी बेड्स पर कोरोना मरीज है। 80 प्रतिशत बेड खाली हैं। हम लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं, अगर ऑक्यूपेंसी रेट बढ़ता है तो हम भी बेड्स की तादाद में इज़ाफा करेगें।
गौरतलब है कि दिल्ली में शुक्रवार (26 मार्च) को 1,534 नये कोरोना के मामले सामने आये। इस दौरान 971 लोग संक्रमण को मात देकर ठीक हो चुके है। साथ ही पिछले 24 घंटों में कुल 9 लोग इंफेक्शन की चपेट में आने से मारे गये। मौजूदा वक्त में कुल 6,551 एक्टिव केस है। दिल्ली में अब तक 6,54,276 लोग महामारी के चपेट में आये। जिनमें से 6,37,238 वायरस की चपेट से आजाद होकर सेहतमंद हो गये। इसके साथ ही मरने वालों की तादाद 10,987 हो गयी।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने कहा कि दिल्ली के एनसीटी में बढ़ते Covid-19 मामलों के बीच आगामी त्योहारों जैसे होली, नवरात्रि और आम तौर होने वाले सार्वजनिक सामाजिक समारोहों के लिये इज़ाजत नहीं दी जानी चाहिए। डीडीएमए ने ये भी कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले यात्रियों की रैंडम टेस्ट सैम्पलिंग (रैपिड एंटीजन टेस्ट/आरटी-पीसीआर) हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और अंतरराज्यीय बस टर्मिनलों पर होनी चाहिए। उन यात्रियों की खासतौर से रैंडम टेस्ट सैम्पलिंग होनी चाहिये, जो कि उन राज्यों से आ रहे है जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है।