न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): देश में कोरोना से जुड़ा ताजातरीन अपडेट (Corona Update) आया है। वैक्सीनेशन के तीसरे फेज में देशभर टीकाकरण की मुहिम को कॉन्टेक्ट लैस बनाया जायेगा। वैक्सीनेशन को अब अब आधार आधारित फेशियल रिकॉग्निशन को जोड़ने की पूरी तैयारी कर ली गयी है। यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधार डेटाबेस से हासिल फेशियल डेटा के आधार पर फेशियल रिकग्निशन एल्गोरिदम (Facial recognition algorithm) का टेस्ट करने के लिये पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है।
नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के मुखिया आरएस शर्मा ने मीडिया को बताया कि, पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया कॉन्टेक्ट लैस हो जायेगी। मौजूदा वक़्त में टीकाकरण की प्रक्रिया में टीका लगवाने का आईरिस बेस्ड प्रमाणीकरण और स्कैनर द्वारा उंगलियों का निशान ऑथेंटिकेटिड (Authenticated) करने की जरूरत होती है। पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत सबसे पहले झारखंड से शुरू की जा चुकी है। झारखंड में रोजाना चेहरे की पहचान कर 1,000 टीकाकरण लाभार्थियों को प्रमाणीकृत किया गया।
जिन यूजर्स ने आधार का इस्तेमाल करने का विकल्प पहचान प्रमाणित करने के लिए चुना है, वो खुद ऑटोमैटिक तौर पर अपने चेहरे की पहचान वेरिफाई करवा पायेगें।
चेहरे की पहचान प्रक्रिया के फायदा
चेहरे की पहचान के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल ‘टचलेस’ COVID-19 टीकाकरण की प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी। इससे प्रक्रिया आसान और कॉन्टेक्ट लैस हो जायेगी। इसलिए वैक्सीन सेंटर में किसी भी तरह के संक्रमण होने की संभावनाओं को करीब-करीब खात्मा हो जायेगा।
आंशकायें
कई लोगों ने सवाल उठाया कि, क्या पूरी प्रक्रिया की संभावित प्रभावकारिता और सुविधा बना सकेगी। जिसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा से यूजर्स तक वैक्सीन पहुँचाने के लिए ये कदम उठाया गया। कुछ लोगों ने कहा कि डेटा इकट्ठा करने से पहले क्रेडेंशियल की पुख़्ता सुरक्षा के लिए पहले निगरानी तन्त्र स्थापित किया जाना चाहिये।