न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): मेडिकल जर्नल medRxiv में प्रीप्रिंट में एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) के बारे में ऐसी हैरतअंगेज रिसर्च स्टडी छपी है। जिसे देखकर वैज्ञानिकों का माथा ठनक गया। मेडिकल जर्नल में बताया गया कि एचआईवी पीड़ित महिला के शरीर में कोरोना संक्रमण ने हमला किया। 216 दिनों तक कोरोना वायरस ने महिला के शरीर में 30 से ज़्यादा म्यूटेशन किये।
महिला साल 2006 से ही एचआईवी संक्रमण से जूझ रही है। उसकी इम्युनिटी काफी कमजोर हो चुकी है। बीते साल सितंबर 2020 के दौरान महिला कोरोना वायरस की चपेट में आ गयी। इस दौरान महिला के शरीर में कोरोना वायरस ने अपने स्पाइक प्रोटीन में 13 म्यूटेशन और खुद में 19 दूसरे जेनेटिक बदलाव लाये।
ये म्यूटेशन (Mutation) या बदलाव वायरस के चाल चलन को बदल सकते है। हालांकि कि अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि एचआईवी और कोरोना संक्रमण से पीड़ित महिला के एंटीबॉडी किसी दूसरे को दिये जा सकते है या नहीं। महिला के शरीर में E484K म्यूटेशन देखा गया। जो कि अल्फा एडिशन B.1.1.7 का हिस्सा है। जिसे पहली बार यूके में ट्रेस किया गया।
इसके साथ ही महिला के शरीर में लगातार सिलसिलेवार ढंग से म्यूटेशन हुये। इसी क्रम में उसके शरीर में N510Y म्यूटेशन भी पाया गया। जो कि बीटा एडिशन B.1.351 का हिस्सा है। जिसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका में ट्रैक और ट्रैस किया गया। शोधकर्ताओं को लगता है कि, ये महज़ संयोग नहीं है। कोरोना के ज़्यादा नये संस्करण दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु नटाल जैसे इलाकों से सामने आ रहे है। जहां 4 में से 1 वयस्क एचआईवी पॉजिटिव है।
महिला के HIV Positive और कोरोनाग्रस्त होने पर विशेषज्ञ ने कहीं ये बात
डरबन में क्वाज़ुलु-नताल विश्वविद्यालय के आनुवंशिकीविद् (Geneticist) और अध्ययन के लेखक ट्यूलियो डी ओलिवेरा के मुताबिक, इम्यूनोसप्रेस्ड मरीज़ दूसरों लोगों के मुकाबले ज़्यादा समय तक वायरस का संक्रमण झेलते है। महिला के मामले में शुरुआती लक्षणों के दौरान केवल कोविड -19 के हल्के लक्षण दिखायी दिये। भले ही वो अभी भी कोरोना वायरस की चपेट में हो।