गौतमबुद्ध नगर (रंजीत प्रसाद): इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने सांस की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर एकाएक कई टेस्ट किए। गौरतलब है कि ये मरीज किसी भी कोरोना इनफेक्टेड के संपर्क में नहीं आए थे और ना ही इन मरीजों की कोई वायरस हॉटस्पॉट जोन में ट्रैवल हिस्ट्री रही है। बावजूद इसके इन सभी में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए। जिसका सीधा सा मतलब है, देश में वायरस का इन्फेक्शन कम्युनिटी लेवल पर पहुंच चुका है। आईसीएमआर की ये मेडिकल स्टडी इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च में पब्लिश में हुई। इस अध्ययन के मुताबिक गंभीर सांस के रोग जूझ रहे 5,911 मरीजों में से 104 मरीज़ कोरोना इंफेक्शन की ज़द में है। फिलहाल ये आंकड़ा 1.8 फ़ीसदी दर्ज किया गया है।
देश के 15 राज्यों के 36 जिलों के 40 मरीजों पर किए गए अध्ययन में खास बात ये रही कि, इन सभी मरीजों का किसी भी तरह से कोरोना इंफैक्टेड लोगों से कोई संपर्क नहीं था। साथ ही इन लोगों की हॉटस्पॉट जोन (विदेश यात्रा) में ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं रही है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इन जिलों में प्रशासन को खास ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही आईसीएमआर सिफारिश दी है कि, अध्ययन से जुड़े मरीज जिन इलाकों से हैं वहां पर रोकथाम और मॉनिटरिंग का काम प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए। सांस की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों की मेडिकल मॉनिटरिंग करके कोरोना इंफेक्शन के बढ़ते खतरे पर लगाम कसी जा सकेगी।
फिलहाल भले ही आईसीएमआर ने खुलकर सामुदायिक संक्रमण की बात ना स्वीकार हो। लेकिन 19 मार्च को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक आईसीएमआर कम्युनिटी लेवल पर इंफेक्शन फैलने की निगरानी से जुड़े शोध पर बारीकी से नजरें बनाए हुए हैं। फिलहाल उसने इंफेक्शन परीक्षण रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। संवेदनशील इलाकों में नजरें बनाए रखने के साथ अब उन लोगों की भी मेडिकल जांच होगी जिन्हें इन्फ्लूएंजा (नाक बहना, गले में खराश, सूखी खांसी, तेज बुखार) वाले लक्षण है।
बदली रणनीति के तहत उन लोगों पर खास ध्यान दिया जा रहा है। जिन्होंने हाल ही में किसी बड़ी सभा में शिरकत की हो, जो रोजगार के चलते प्रवास करने के लिए मजबूर हुए हो। यदि ऐसे लोगों में फ्लू के लक्षण है तो उन्हें निगरानी के दायरे में लाया जाएगा। साथ ही इस बात का भी पता लगाया जाएगा, वो किस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया था। बीमारी के हालात में ऐसे लोगों का लगातार 7 दिन तक मेडिकल परीक्षण होगा। अगर मेडिकल टेस्ट नेगेटिव पाए जाते हैं तो आखिर में एंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा।
स्त्रोत- वन इंडिया