नई दिल्ली (गंधर्विका वत्स): विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि कोवैक्सिन (Covaxin) की कारगर क्षमता काफी ज़्यादा है, साथ ही तीसरे फेज के ट्रायल में इसके काफी बेहतर नतीज़े निकलकर सामने आये है। हैदराबाद की वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने 23 जून को प्री-सबमिशन मीटिंग की थी और अब उसे WHO से इमरजेंसी-यूज लिस्टिंग (EUL) की मंजूरी का इंतजार है।
इसके अलावा डॉ स्वामीनाथन ने भारत में कम से कम 60-70% आबादी के प्राथमिक टीकाकरण का सुझाव दिया। हालांकि डब्ल्यूएचओ जल्द बूस्टर शॉट्स (Booster Shots) की सिफारिश नहीं की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ किया कि प्राथमिक टीकाकरण के दायरे को व्यापक बनाने पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित किये जाने की जरूरत है।
कुछ दिनों पहले भारत बायोटेक ने सिम्फोटिक कोरोना मामलों का मूल्यांकन करने के बाद कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की नतीज़े जारी किये थे, जबकि इस दौरान वैक्सीन ग्रुप के 24 लोगों पर काफी करीब नज़रे बनायी रखी गयी। इस कवायद के दौरान अन्य 106 को प्लेसबो खुराकें (Placebo Doses) दी गयी।
कंपनी के मुताबिक वैक्सीन टेस्टिंग प्रतिभागियों (Vaccine Testing Participants) का आयु वर्ग 18-98 वर्ष के बीच था। चरण 3 के आंकड़ों में कोवैक्सिन को हल्के, मध्यम और गंभीर कोरोना संक्रमण के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी पाया गया। इसके साथ ही कोवैक्सिन को नये डेल्टा संस्करण के खिलाफ 65.2 प्रतिशत सुरक्षा पाया गया।
प्रभावकारिता विश्लेषण में कोवैक्सिन को गंभीर कोरोना से जुड़ी हालातों में 93.4 कारगर पाया गया। दूसरी ओर सुरक्षा विश्लेषण से पता चलता है कि प्रतिकूल मामले प्लेसीबो के समान थे। इस दौरान आमतौर 12 फीसदी लोगों पर बेहद मामूली साइड इफैक्ट देखे गये और 0.5% से कम गंभीर प्रतिकूल मामलों (Adverse Cases) का अनुभव किया गया।
गौरतलब है कि SARS-CoV2 के खिलाफ वायरल इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (Viral Inactivated Vaccine) को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ साझेदारी में विकसित किया है।