नई दिल्ली (श्रेयसी श्रीधरा): बढ़ते इंफेक्शन को देखते हुए आम जनता में भारी निराशा का दौर है। प्राइवेट अस्पतालों (Private hospitals) में बैड्स की कालाबाजारी और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चरमराते मेडिकल ढांचे के बीच देशवासियों के लिए राहत की 2 बड़ी खबरें सामने आ रही है। लॉकडाउन (Lockdown) जारी होने के बाद पहली बार देश में इंफेक्शन रिकवरी रेट (Infection recovery rate) 50 फ़ीसदी के पार चला गया है। खबर लिखे जाने तक देशभर में तकरीबन 1 लाख 34 वायरस इन्फेक्शन के सक्रिय मामले दर्ज किए गए। ठीक इसी दौरान 1 लाख 35 लोग वायरस संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। जैसे-जैसे रिकवरी रेट बढ़ता जाएगा, संक्रमण (Infection) के मामले कम हो जायेगें। सरसरी तौर पर इन आंकड़ों के दो मतलब निकलते हैं। संक्रमण दर अपने चरम बिंदु (culminating point) पर पहुंच चुकी है। और दूसरा लोगों ने वायरस इन्फेक्शन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
देश के लिए दूसरी बड़ी खबर, आर्थिक रफ्तार को मापने वाली अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी फिच (International Agency Fitch) की तरफ से आई है। एजेंसी के मुताबिक जैसे ही भारत वायरस इन्फेक्शन के माहौल से निकलेगा, आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियों (Commercial activities) में काफी तेजी दर्ज की जाएगी। जिसके चलते अगले वित्त वर्ष में विकास दर (Growth rate) 9.5 रहने का अनुमान है। फिलहाल मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 5 फीसदी गिरावट के साथ सुस्त पड़ी हुई है। जिसके कारण ग्रोथ आउटलुक (Growth outlook) काफी कमजोर पड़ा हुआ है। हालांकि फिच ने केंद्र सरकार द्वारा जारी आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज (Atamnirbhar Bharat Economic package) के संभावित प्रभाव पर सवालिया निशान भी लगाएं। अंतरर्राष्ट्रीय एजेंसी के मुताबिक- भले ही इस राहत पैकेज की राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का 10 फ़ीसदी बताई जा रही हो। लेकिन वास्तविक तौर इस राहत पैकेज का महज़ 1 फ़ीसदी हिस्सा ही खर्च हो पाएगा।
भले ही दोनों खबरें आंकड़ों के आधार पर देशभर को राहत देने वाली है। लेकिन मौजूदा हालात आम जनता के लिए भयंकर बनते जा रहे हैं। ये संभावित राहतें दीर्घकालीन (Tentative long term reliefs) है। फौरी राहत (Quick relief) पहुंचाने के लिए सरकारों को अभी काफी कुछ करना बाकी है।