नई दिल्ली (शौर्य यादव): COVID-19 संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच कई कोरोना वॉरियर्स इंफेक्शन की चपेट में आ गये। अपनी जान और परिवार की परवाह ना करते हुए बहुत से कोरोना योद्धा जोखिम के साथ अपनी ड्यूटी निभा रहे है। इस आपदा के दौर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने औपचारिक घोषणा कर रखी है कि, यदि कोई कोरोना योद्धा (corona warrior) ड्यूटी के दौरान वायरस संक्रमण के चपेट में आकर शहीद होता है तो उसे शहीद का दर्जा देते हुए 1 करोड़ रूपये की मुआवज़ा राशि दी जायेगी।
इसी के तहत लोक नारायण जयप्रकाश अस्पताल में ड्यूटी करते हुए शहीद डॉक्टर असीम गुप्ता के परिजनों को एक करोड़ रूपये की सहायता राशि उनके शहीद होने के 6 दिनों के भीतर दिल्ली सरकार द्वारा मुहैया करवायी गयी। खुद सीएम केजरीवाल उनके घर सहायता राशि देने गये। हाल ही में सिविल डिफेंसकर्मी अरूण कुमार के शहीद होने के बाद अरविंद केजरीवाल उत्तम नगर के सोम बाज़ार रोड़ स्थित सिविल डिफेंस कर्मी के घर पहुँच सहायता राशि देकर आये। लेकिन एक परिवार ऐसा भी है, जो अभी तक सहायता राशि पाने के लिए सड़कों की धूल फांक रहा है।
निगम सफाईकर्मी शहीद विनोद हरलाल बीते 24 अप्रैल 2020 को सर्वोच्च बलिदान देते हुए शहीद हो गये। लेकिन आज तक दिल्ली सरकार ने उनके परिवारवालों की सुध नहीं ली। बीती 5 जुलाई को परिवारवाले मुख्यमंत्री आवास पर अपनी मांग लेकर गये। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया। औपचारिकता पूरी करने के लिहाज से मुख्यमंत्री के ओएसडी ने ई-मेल के माध्यम से शिकायत स्वीकार करने की खानापूर्ति की।
दिल्ली सफाई कर्मचारी एक्शन कमेटी (DSKAC) की अगुवाई में परिवार एक बार फिर (26, 2020 जुलाई) मुख्यमंत्री आवास पर अपनी गुहार लगाने पहुँचा। लेकिन परिजनों को निराशा का ही सामना करना पड़ा। शहीद के परिजनों ने आरोप लगाया कि-दिल्ली सचिवालय और केजरीवाल के निवास हर जगह गुहार और फरियाद लगायी जा रही है। लेकिन कहीं कोई ज़वाबदेही और सुनवाई नहीं हो रही है। जब हम लोग मुख्यमंत्री आवास पर आमरण अनशन के लिए बैठे तो दिल्ली पुलिस हमें भगा दिया। हम लोगों के साथ जातीय आधारों पर भेदभाव हो रहा है। ई-मेल से लैटर लेकर उसकी रिसीविंग देकर हम लोगों के साथ सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। अगर हमारी मांगों को अनसुना किया जाता है तो पूरा परिवार दिल्ली सचिवालय के सामने अनशन पर बैठेगा।
गौरतलब है कि शहीद सफाईकर्मी शहीद विनोद हरलाल की ड्यूटी इंफेक्शन के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी ज़मात के मरकज़ वाली इमारत के आस-पास के इलाके में लगी हुई थी। कर्त्तव्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उन्होनें अपना जीवन बलिदान कर दिया। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि, परिजनों को मुआवज़ा देने में दिल्ली सरकार भेदभाव क्यों कर रही है? शहीद के परिजनों को सड़कों पर यूं ठोकरें के लिए मजबूर करके दिल्ली सरकार शहीद की शहादत का अपमान क्यों कर रही है? परिजन सीएम केजरीवाल पर जातिवादी होने का जो आरोप लगा रहे है उसमें कितना दम है? कोरोना वॉरियर्स की शहादत के प्रति सम्मान दिखाने का काम केजरीवाल सिर्फ मीडिया के सामने करते है?