नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस का इलाज खोजने के लिए दुनिया भर के इम्यूनोलॉजिस्ट, रूमेटोलॉजिस्ट, स्टेम सैल थेरेपिस्ट, वायरोलॉजिस्ट और फॉर्मास्यूटिकल विशेषज्ञों ने दिन रात एक कर रखा है। फिलहाल दुनिया भर में तकरीबन 33 से ज्यादा वैक्सीनों के ट्रायल चल रहे हैं। इस समय मेडिकल रिसर्च और टेक्नोक्रेट बिरादरी के लिए दो मोर्चों पर चुनौती बनी हुई है। वायरस के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर को डिकोड करना और किफायती पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट तैयार करना। फिलहाल दूसरी बीमारियों की दवाइयों से वायरस इन्फेक्शन का इलाज किया जा रहा है। Abacavir, Lamivudine, Stavudine, Paracetamol, Rifampicin और clofazimine दवाइयों के नाम सामने आ रहे हैं। लेकिन मेडिकल बिरादरी ने hydroxychloroquine पर ज्यादा भरोसा जताया है।
हाइड्रोक्लोरोक्वीन आमतौर पर मलेरिया, आर्थराइटिस और ऑटोइम्यून डिजीज के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे बनाने में सल्फेट के केमिकल कंपाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसकी खोज हुई। साल 1955 के दौरान एफडीए ने क्लीनिकल ट्रायल के बाद इंसानी इस्तेमाल के लिए इसे ठीक पाया। मार्केट में ये प्लाक्लेविन नाम से बेची जाती है। इस दवाई ने कोरोना वायरस के खिलाफ अच्छे नतीजे दिए हैं। जिसके बाद ये दवाई मीडिया में चर्चा का विषय बनी। और साथ ही एकाएक मार्केट में इसकी मांग भी बढ़ी। भारत हाइड्रोक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। अमेरिका सहित दुनिया भर के तकरीबन 30 देश भारत से इसकी मांग कर रहे हैं। फिलहाल भारत ने इस दवाई के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसके कारगर होने को लेकर अनिश्चितता की जाहिर की थी। फिलहाल ये दवाई डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को दी जा रही है, जो वायरस इन्फेक्शन की रोकथाम के काम में लगे हुए हैं। फ्रांस में हुए मेडिकल अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि, ये दवाई SARS-CoV-2 पर कारगर ढंग से अपना असर दिखाती है।
हालांकि क्लोरोक्वाइन फास्फेट के साइड इफेक्ट भी काफी है। उल्टी आना, मतली, दस्त, सिर घूमना, जी मिचलना, नब़्ज ठीक से ना चलना इसके आम लक्षण है। गौरतलब है कि इसके इस्तेमाल को लेकर मेडिकल बिरादरी दो धड़ों में बंटी हुई है। एक धड़ा इसके इस्तेमाल की सिफारिश करता है और दूसरे में अभी भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दिलचस्प बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने कहा, अगर भारत अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप का निर्यात नहीं करेगा तो, उसे इसके नतीजों के लिए तैयार रहना पड़ेगा।