नई दिल्ली (शौर्य यादव): वीडियो कॉन्फ्रेसिंग द्वारा राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए, मौजूदा हालातों के मद्देनज़र कांग्रेस का औपचारिक पक्ष रखा। वायरस इंफेक्शन के नाज़ुक हालातों के बीच राहुल गांधी सियासी तंज कसते नज़र आये। Covid PM Care Fund की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाते हुए उन्होनें इसकी ऑडिटिंग की मांग की। इसके साथ ही इंफेक्शन से कारगर ढंग से लड़ने के लिए संघ ढांचे की शक्तियों के विकेन्द्रीकरण पर ज़ोर दिया। राहुल ने कोरोना से लड़ने के लिए गैर-भाजपायी राज्यों को मिलने वाले फंड के बंटवारे पर केन्द्र सरकार द्वारा सौतेला व्यवहार बरतने की बात कही। मजदूरों और किसानों को न्याय योजना देने के साथ-साथ ज़िला मजिस्ट्रेट को काम करने में छूट देने की भी मांग की।
राहुल गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें
- इस वक़्त मज़दूरों को सहायता की आवश्यकता है, ‘न्याय’ योजना शुरू करे केंद्र, उनके खाते में डाले पैसे। सरकार को ज़रूरतमंदों की मदद के लिए सिर्फ 65 हज़ार करोड़ रुपये की ज़रूरत है। प्रवासी मज़दूरों के दर्द को कम करने की ज़रूरत है। मोदी सरकार को जल्द से जल्द छोटे और मध्यम वर्ग के उद्योगों के लिए पैकेज का ऐलान करना चाहिए। प्रवासी मज़दूरों के लिए सरकार को एक प्लान लाना चाहिए।
- सरकार को अपने फैसले को लेकर पारदर्शिता रखनी होगी। सरकार को यह साफ करना चाहिए कि वह कब लॉकडाउन हटाने जा रही है। लॉकडाउन में कई चीज़ों पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। लोग कोरोना से डरे हुए हैं। ऐसे में सरकार को लॉकडाउन को खोलने से पहले जनता का भी भरोसा जीतना होगा। लॉकडाउन हटाने के लिए एक रणनीति की ज़रूरत है।
- ये सरकार की आलोचना करने का समय नहीं है। जिस हालत में हम हैं, हमें कोशिश करने की ज़रूरत है कि हम कैसे इससे निकलें। पैसे की आवश्यकता आज है। प्रवासी मज़दूरों को आज पैसे देने की ज़रूरत है, गरीब लोगों को आज पैसे देने की ज़रूरत है। छोटे और मध्यम वर्ग को आज मदद की ज़रूरत है। ऐसे में सरकार को एक नया और ठोस रास्ता निकालना चाहिए।
- इस समय सबसे ज़्यादा ज़रूरत आर्थिक पैकेज की है क्योंकि अर्थव्यवस्था को स्टार्ट करने की आवश्यकता है। सरकार वक़्त बर्बाद कर रही है। वक्त की ज़रूरत ये है कि जल्द से जल्द पैकेज की घोषणा होनी चाहिए। प्रधानमंत्री के काम करने का अपना स्टाइल है। इस समय हमें प्रधानमंत्री के साथ कई मज़बूत मुख्यमंत्रियों की जरूरत है, कई मज़बूत डीएम की ज़रूरत है। हम सब मिलकर ही इस संकट से बाहर आ सकते हैं। डीएम के पास स्थानीय सूचनाएं होती हैं जिसके हिसाब से कदम उठाने की ज़रूरत होगी।
- अभी कुछ दिन पहले हमने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी। मुख्यमंत्रियों ने कहा कि इस संकट में पावर को डिसेंट्रलाइज करने की ज़रूरत है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि केंद्र सरकार से जो मदद मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है। ऐसी चीजों पर केंद्र को गौर करने की ख़ास आवश्यकता है।
- देश में जो हालात हैं वह नॉर्मल नहीं हैं। ऐसे में हमें इस लड़ाई को ज़िले स्तर पर ले जाने की ज़रूरत है। पीएम मोदी को ऐसे समय में पावर डिसेंट्रलाइज करने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री को डीएम पर भरोसा करना पड़ेगा, उन्हें पावर देना पड़ेगा। अगर हम पावर को डिसेंट्रलाइज करने में नाकाम हुए, अगर यह लड़ाई पीएमओ से लड़ी गई तो हम इसे हार जाएंगे। हमे डर के माहौल से निकले की ज़रूरत है।
- हम पहले भी ये कह चुके हैं। आज भी मैं ये कह रहा हूं कि कोविड पीएम केयर फंड को ऑडिट कराने की ज़रूरत है। जो सच्चाई है वो सबके सामने आनी चाहिए।
कर्नाटक में मज़दूरों को रोकना बिलकुल गलत है। प्रवासी मज़दूरों को सुरक्षित जांच के बाद उनके घरों के लिए रवाना कर देना चाहिए। किसानों के लिए तुरन्त प्रभाव से आर्थिक पैकेज जारी करना चाहिए।