न्यूज डेस्क (निकुंजा यदुवंशी): बढ़ते इंफेक्शन के मद्देनजर देश समेत पूरी दुनिया में मेडिकल रिसर्च का काम जोरों पर है। नामी-गिरामी विश्वविद्यालय सहित कई बड़े संस्थान इस काम में लगे हुए हैं। इस वक्त भारत में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए तकरीबन 30 टीकों पर काम चल रहा है। कई तो ट्रायल प्रोसेस के लिए भी तैयार है। और कुछ अगले महीने तक ट्रायल के लिए तैयार हो जाएंगे। पीएम मोदी की अगुवाई में बनी कोविड-19 टास्क फोर्स शोध कार्यों पर बारीकी से नजरें बनाए हुए हैं। हाल ही में बन रहे 30 टीकों के विकास के विभिन्न चरणों की मॉनिटरिंग पीएम मोदी ने की। विशेषज्ञ द्वारा उम्मीद जताई जा रही है कि, शिक्षा जगत, कॉर्पोरेट सेक्टर (Corporate sector) और केंद्र सरकार तीनों के बेहतरीन तालमेल से वैक्सीन विकसित करने के कामों में तेजी आएगी।
दूसरी ओर उम्मीदों की रोशनी इजराइल से आती दिख रही है। इजराइल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल रिसर्च (IIBR) में कारगर वैक्सीन इजाद की गई है। आईआईबीआर ने दावा किया है कि, वायरस इन्फेक्शन से लड़ने के लिए खास़ किस्म की एंटीबॉडी की खोज की गई है। जो वायरस को बेअसर करेगी। हालिया ट्रायल्स में वैक्सीन के नतीजे काफी कारगर रहे हैं। जल्द ही आईआईबीआर द्वारा इसका पेटेंट फाइल किया जाएगा। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन शुरू होगा। हालांकि इसराइल की ओर से अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि कथित वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर हुआ है या नहीं? बैक्टीरिया या वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करना किसी भी दवा या वैक्सीन की खोज का अहम हिस्सा होता है। जिसमें इसराइल को शुरुआती कामयाबी मिल चुकी है। आईआईबीआर इसराइली प्रधानमंत्री के तहत कार्य करने वाला खुफिया संस्थान है। जिसमें दुनिया भर के 50 से ज्यादा नामचीन वायरोलॉजिस्ट काम करते हैं। आईआईबीआर पर अक्सर बायो-केमिकल वेपंस विकसित करने के आरोप लगते रहे हैं।
इस वक्त दुनिया भर में तकरीबन 100 से भी ज्यादा रिसर्च कोरोना की वैक्सीन खोज करने के लिए हो रही है। करीब 1 दर्जन से भी ज्यादा वैक्सीन परीक्षण इंसानों पर चल रहे हैं। जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में छपे एक शोध के मुताबिक नीदरलैंड की उट्रेच यूनिवर्सिटी (Utrecht University) में वैज्ञानिकों की एक टीम ने आर्टिफिशियल एंटीबॉडी विकसित किया है। 47डी11 नाम के इस एंटीबॉडी ने कोरोना वायरस की बाहरी परत पर लगे स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाते हुए वायरस को बेअसर कर दिया।
फिलहाल जब तक वैक्सीन सघन परीक्षण के बाद लोगों तक नहीं पहुंचती, तब तक इंफेक्शन से पूरी तरह छुटकारा पाना मात्र कयास ही माना जाएगा।