#COVID-19: वायरस इन्फेक्टेड इंडियन economy

नई दिल्ली (शुभम पाण्डेय): कोरोना वायरस (coronavirus)- एक ऐसा वायरस जो आमतौर पर जानवरो में पाया जाता था। लेकिन ये चीन के वुहान (Wuhan) से निकलकर पूरी दुनिया में दस्तक देने के साथ ही संपूर्ण मानवता के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। आखिर ये फैला कैसे? इसे लेकर काफी कयास और मिथक फैले हुए हैं। मेडिकल बिरादरी और फार्मास्यूटिकल (pharmaceutical) कंपनियों की बड़ी जमात ने इस पर लगाम कसने के लिए 100 फ़ीसदी ताकत झोंक रखी है। लेकिन फिलहाल किसी को भी कारगर कामयाबी हासिल नहीं हो पाई है। फिर भी उम्मीदें कायम है जल्द ही इसका तोड़ निकलेगा। मौजूदा हालातों में कारगर इलाज की कमी के चलते मृत्यु दर बढ़ती दिख रही है।

उपचार, बचाव और इससे पैदा होने वाली अन्य चुनौतियों जैसे देश की आर्थिक स्थिति, सामाजिक जीवन शैली, बेरोजगारी, घटता उत्पादन और उद्योग धन्धे में आने वाली बड़ी समस्याओं के लिए अभी से कमर कसना बेहद जरूरी होगा। बढ़ते वायरस इंफेक्शन के मद्देनजर भारत के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पड़ने वाले दुष्परिणाम पर एक नज़र –

1- आर्थिक दृष्टिकोण
2- सामाजिक दृष्टिकोण

1- आर्थिक दृष्टि (Financial vision) से अगर भारतीय संदर्भों में देखा जाए तो, भारत विकासशील देशों की फेहरिस्त में आता है। विकासशील देशों की GDP में हर क्षेत्र से मिलने वाली आय के सहयोग से ही देश के नागरिकों के जीवन स्तर को मजबूती मिलती है।

भारतीय रेल विभाग (Indian Railway)- इस महामारी ने विश्व की सबसे बड़ी तीसरी रेल यातायात सेवा के इतिहास को ही बदल दिया। आजतक किसी भी हालातों में भारतीय रेल सेवा ठप्प नहीं हुई थी, लेकिन बढ़ते कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या ने सरकार को मजबूरन ये कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। रेल भारत की आर्थिक आय को एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचने में मददगार है।

भारतीय पर्यटन विभाग (Indian Tourism) – पर्यटन गतिविधियों में वायरस की वजह से बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी। इसका सबसे बड़ा असर रोजगार पर भी पड़ेगा और पर्यटन स्थल के आसपास के लोगों की जीवनशैली में भी बदलाव देखने को मिलेगा। पर्यटन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट पर नज़र डाले तो साल 2018 में पर्यटन क्षेत्र से होने वाली आय की GDP में 9.2 फीसदी की हिस्सेदारी रही और FTA के मुताबिक मई 2019 में बांग्लादेश से 28.37, अमेरिका से 16.24, इंग्लैंड से 6.24 प्रतिशत विदेशी पर्यटकों ने भारत का दौरा किया लेकिन आने वाले 2 सालों में आंकड़ों में भारी गिरावट तय मानी जा रही है।

मैन्युफैक्चरिंग और बिजनेस (Manufacturing & Business) – मौजूदा हालात का असर सीधे तौर पर देश के छोटे-बड़े सभी कारोबारियों और उद्योगों के उत्पादन पर दिखने लगा है। क्योंकि कार्यरत कर्मचारी काम छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए घर में बंद होने को मजबूर हैं। स्थिति नियंत्रण में आने के बाद सम्भव है कि कुछ क्षेत्रों में तेजी से विकास देखने को मिलेगा मसलन बीमा क्षेत्र खासतौर पर तेजी से ऊपर उठता दिख सकता है, वहीं टेक्नोलॉजी जैसे वाहन बनाने वाली कम्पनियों को भारी घाटे का सामना करना पड़ सकता है।

2-सामाजिक दृष्टि (Social Vision) से भारतीय परिप्रेक्ष्य में देश में भिन्न-भिन्न जाति व धर्म के लोग निवास करते हैं सबकी अपनी अलग-अलग मान्यता, आस्था और जीवन शैली है।

किसान वर्ग (Farmers)- इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि, हमारा देश हमेशा से ही कृषि प्रधान देश के तौर पर जाना जाता रहा है। महामारी का दौर थमने के बाद इस साल बामुश्किल ही किसानों को उत्पादन लागत का मूल भाव मिल पाए।

निम्न वर्ग (Labors)- इस महामारी के कारण अगर सबसे ज़्यादा किसी पर चोट पड़ी है तो, वो है दिहाड़ी मजदूर और सड़कों पर रेहड़ी लगाने वाला निम्न वर्ग। रोज कमाने और रोज खाने के हालातों में बदलाव के बाद ये वर्ग जमा पूंजी गंवा रहा है। इस वर्ग को पुरानी स्थिति में पहुंचने में एक लंबा अरसा लग जाएगा।

आखिरकर इन सब बातों का सिर्फ एक ही लब्बोलुआब है कि, आने वाले 2 सालों तक देश की अर्थव्यवस्था (economy) को सुव्यवस्थित और नीतिगत तरीके से आगे बढ़ाना होगा जिससे कि आर्थिक गतिविधियां अपनी पुरानी रफ्तार हासिल कर सकें।

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