न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): मेडिकल जगत की उत्कृष्ट शोध पत्रिका लैंसेट (Lancet, an excellent research journal of the medical world) के दावों की मानें तो रूसी स्पूतनिक 5 (Russian Sputnik V) वैक्सीन के काफी कारगर नतीज़े सामने आये है। पिछले कई दिनों से इस वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे थे। जिन पर पत्रिका में छपे शोधपत्र ने विराम लगा दिया है। वैक्सीन ने बिना किसी विपरीत प्रभाव के मानव शरीर में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी तैयार किये है। साथ ही इन एंटीबॉडी ने वायरस के जीनोम की प्रतिकृति (Antibodies prevent virus from being replicated) भी नहीं बनने दी।
छपी रिपोर्ट के मुताबिक रूसी स्पूतनिक 5 की खुराक 76 लोगों को दी गयी। जिसके बाद इन लोगों की लगातार मेडिकल मॉनिटरिंग की गयी। तकरीबन 21 दिनों बाद सभी लोगों के शरीर में कारगर एंटीबॉडी की पर्याप्त संख्या सामने आयी। साथ ही इस दौरान सभी लोगों पर किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट का लक्षण भी नहीं उभरा। साथ ही वैक्सीन के असर टी-सेल रक्त कोशिकाओं में खास किस्म की सक्रियता (Effect of vaccine-specific activation in T-cell blood cells) भी नज़र आयी। जिससे आनुवांशिकी तौर पर भविष्य के लिए मानवीय प्रतिरोधक प्रणाली वायरस के खिलाफ खुद तैयार कर लेगी। इस शोध में 18-60 वर्ष की आयु के लोग शामिल थे। रिसर्च पेपर की नतीज़े दिखाते है कि वैक्सीन राष्ट्रवाद में रूस (Russia is far ahead in vaccine nationalism) कई दूसरे पश्चिमी देशों से बढ़त बनाये हुए है।
जैसे ही ये खबर सामने आयी तो शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh during the Shanghai Cooperation Organization meeting) ने रूस को इस मौके पर बधाई दी। साथ ही वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य कर्मियों की अथाह मेहनत को भी उन्होनें सराहा। वहीं रूसी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किरिल दिमित्रीव (Kirill Dmitriev, Chief Executive Officer of Russian Direct Investment Fund) ने भारत से इसके उत्पादन और वितरण के लिए सहयोग मांगा। किरिल ने भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता के बारे में बात करते हुए बताया कि, दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले 60 फीसदी वैक्सीन का प्रोडक्शन भारत में होता है। स्पूतनिक -5 के उत्पादन के लिए उन्होनें भारतीय स्थानीय वैक्सीन उत्पादकों का सहयोग (Support of Indian local vaccine producers) मांगा। जिसके लिए दोनों देशों के बीच संयुक्त करार पर हस्ताक्षर हो सकता है।
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन में भारतीय मूल की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr. Soumya Swaminathan, Senior Scientist of Indian Origin in World Health Organization) ने उम्मीद जाहिर की, साल 2021 के मध्य तक दुनिया के हर व्यक्ति तक कोरोना वैक्सीन की पहुँच होगी। सौम्या स्वामीनाथन का ये कयास इस समीकरण पर आधारित है कि फिलहाल दुनिया भर में 170 कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है। जिनमें से तकरीबन 30 अन्तिम चरणों से गुजर रही है। अगर इसी तर्ज और रफ्तार से काम चलता रहा तो, इस साल के अन्त तक कोरोना वैक्सीन ईजाद कर ली जायेगी। साथ ही स्टोरेज, लॉजिस्टिक और डिस्ट्रीब्यूशन जैसे कामों में आने वाली अड़चनों (Difficulties in storage, logistics and distribution) को दूर करते हुए साल 2021 की तीसरी या चौथी तिमाही के दौरान दुनिया के हर देश में कोरोना वैक्सीन सुलभ हो पायेगी। मौजूदा हालातों के देखते हुए ये अपने आप में बड़ी राहत की बात है।