न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): हाल ही में खब़रे सामने आयी कि कोरोना वैक्सीन के लिये तैयार वैक्सीन पंजीकरण पोर्टल को हैक (Cowin Data Hack) कर लिया गया है। जिसकी वज़ह से 15 करोड़ लोगों का डेटाबेस डॉर्कवेब पर बिकने के लिये तैयार है। सरकार ने ऐसे किसी भी दावे का खंडन करते हुए कहा है कि वैक्सीनेशन डेटा पूरी तरह से डिजिटल सुरक्षित है।
गौरतलब है कि “डार्क लीक मार्केट” के नाम से जाने वाले एक हैकर ग्रुप ने ट्विट कर दावा किया था कि, उनके पास लगभग 15 करोड़ भारतीयों का डेटाबेस है, जिन्होंने CoWIN पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड किया था। इसे 800 डॉलर में कई बार बेचा गया। हैकर ग्रुप ने कहा कि उन्होनें इसे लीक नहीं किया है।
मामले पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमआईटीवाई) की रिएक्शन टीम का बयान सामने आया। जिसमें कहा गया कि CoWIN प्लेटफॉर्म के हैक होने की कुछ निराधार मीडिया रिपोर्टें आई हैं। प्रथम दृष्टया (Prima facie) ये रिपोर्ट्स उन्हें फर्जी हैं। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और वैक्सीन से जुड़ा प्रशासन मामले की जांच करवा कर रहा है।
Cowin Data Hack मामले पर डॉ आरएस शर्मा का बयान
वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन (कोविन) पर अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष डॉ आरएस शर्मा ने साफ किया है कि “हमारा ध्यान को-विन सिस्टम की कथित हैकिंग के बारे में सोशल मीडिया पर चल रही खबरों की ओर गया। इस संबंध में हम ये बताना चाहते हैं कि Co-WIN का टीकाकरण डेटा पूरी तरह डिजिटल स्पेस (Digital Space) में सुरक्षित है। इस स्पेस के बाहर Co-WIN डेटा साझा किसी भी सूरत में मुमकिन नहीं है। दावे में टीका लाभार्थियों की जियो लोकेशन का भी जिक्र किया गया है जबकि को-विन पर इससे जुड़ा डेटा इकट्ठा नहीं किया जा सकता।
भारत ने अब तक 23.7 करोड़ से ज़्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन लगायी जा चुकी है। दिव्यांगों के टीकाकरण के लिये कोविड -19 टीकाकरण पंजीकरण के लिए निर्धारित फोटो पहचान दस्तावेजों की लिस्ट में विशिष्ट विकलांगता पहचान (यूडीआईडी) कार्ड को भी शामिल करने का निर्देश जारी किया गया है।