एजेंसियां/बिजनेस डेस्क (राजकुमार): Crude Oil: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आर्थिक सलाहकारों में से एक ने कहा है कि भारत और चीन अमेरिकी सरकार की उम्मीदों से ज़्यादा रूसी तेल खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो बड़े देशों द्वारा रूसी तेल की खरीद वैश्विक बाजारों में आपूर्ति बाधाओं को कम कर रही है और हाल ही में तेल की कीमतों में गिरावट आयी है।
बीते बुधवार (22 जून 2022) वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (West Texas Intermediate) 5.6 फीसदी की गिरावट के साथ 103.31 डॉलर प्रति बैरल पर था, जबकि ब्रेंट (Brent) 5.2 फीसदी की गिरावट के साथ 108.62 डॉलर पर बंद हुआ।
ब्लूमबर्ग टीवी को दिये इंटरव्यूह में बिडेन की काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स (Council Of Economic Advisors) की अध्यक्ष सेसिलिया राउज़ (Cecilia Rouse) ने कहा कि, “अभी खासतौर से तेल बाजार काफी अस्थिर हैं। मैंने सुना है कि ये है कि चीन और भारत असल में रूसी तेल की ज़्यादा खरीद कर रहे हैं, ऐसा हमारा विश्वास है कि पेट्रोलियम बाजार में इससे ज़्यादा सप्लाई होगी।”
यूक्रेनी युद्ध के मद्देनजर रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के लगने के साथ व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) भारी मांग के बीच रूसी तेल को एशियाई बाजारों में भारी छूट पर बेच रहे हैं। गज़प्रोम नेफ्ट (Gazprom Neft) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अलेक्जेंडर ड्युकोव (Alexander Dyukov) के मुताबिक साल 2022 की शुरुआत में दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल का निर्यात यूरोप में किया जा रहा था, अब रूस का लगभग 50 प्रतिशत तेल एशियाई बाज़ारों में खपाया जा रहा है।
मार्केट रिसर्च फर्म केप्लर (Market Research Firm Kepler) के शिपिंग डेटा का हवाला देते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि रूसी पेट्रोलियम का बड़ा हिस्सा दो देशों-चीन और भारत में बेचा जा रहा है। पिछले महीने के मुकाबले मई में चीन में रूसी तेल का आयात 28 प्रतिशत बढ़ा, जो कि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। मौजूदा हालातों में मास्को (Moscow) चीनी बाज़ारों में ज़्यादा से ज़्यादा तेल बेचकर सबसे बड़े सप्लायर के तौर पर सऊदी अरब (Saudi Arab) को पछाड़ना चाहता है।
रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भारत रहा, जो कि एक दिन में लगभग 760,000 बैरल से ज़्यादा रूस तेल की खरीदारी कर रहा है। इसके अलावा भारत सरकार ने अपने मालिकाना हक वाली तेल कंपनियों को रूसी कच्चे तेल की भारी मात्रा खरीदने को कहा है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक यूक्रेन (Ukraine) के खिलाफ मास्को के युद्ध के दौरान कच्चे तेल कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गयी है।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियां यूरोप से प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल की खरीद जारी रखने के तरीके खोज रही हैं। रूसी तेल की खरीद की अपील को बढ़ावा देने के लिये रूसी पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट (Russian petroleum company Rosneft) ने कारोबारियों को बैंक से क्रेडिट पत्र के बिना डिलीवरी के बाद अपने क्रूड महीनों के लिये भुगतान करने की मंजूरी दे दी है।