(उत्तर प्रदेश) लोगों को जोड़ने में सोशल मीडिया (Social media) का काफी अहम योगदान रहा है। लोग इसका सार्थक इस्तेमाल करते हुए, एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी देखने में आता है, इसका इस्तेमाल गलत जानकारी और दुष्प्रचार (Propaganda) फैलाने के लिए किया जाता है। ये पॉलिटिकल नैरेटिव (Political Narrative) सेट करने में भी काफी अहम किरदार निभाता है। समुदाय विशेष (Community specific) के खिलाफ जहर भरने और साथ ही अफवाह फैलाने के लिए आए दिन इसका इस्तेमाल होना आम बात है।
एक गलत खबर या एक गलत सूचना लोगों को हिंसात्मक भीड़ (Violent mob) में बदल सकती है और साथी कानून व्यवस्था (Law and order) के खिलाफ होने मोबालाइज (Mobilize) भी कर सकती हैं। आमतौर पर लोग सोशल मीडिया पर आए जानकारी को ही सच मानकर उस पर यकीन करने लग जाते हैं उसके पीछे की वास्तविकता की जांच पड़ताल करने में उनकी कोई दिलचस्पी (Interested) नहीं होती है या यूं कहें क्यों नहीं पता ही नहीं होता है कि इस खबर की सच्चाई कैसे पता लगाई जाए
वरिष्ठ पत्रकार और नेशनल अवार्ड फिल्म मेकर (National Award Film Maker) विनोद कापड़ी ने इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया। 1 मिनट 41 सेकंड इस वीडियो में एक डॉक्टर (doctor) साहब अलग-अलग देशों के डेमोग्राफिक आंकड़ों (Demographic data) का जिक्र करते हुए कहते हैं कि हिंदुस्तान में मुसलमानों (Muslims) से मताधिकार छीन लेनी चाहिए। जैसे यह बात विनोद कापड़ी (Vinod Kapri) सुनते हैं उसका वीडियो बनाते हैं।
ये हमें समझना होगा कि, सोशल मीडिया की हर सूचना, दावा और जानकारी सही नहीं होती है। ऐसे में भ्रामक (Misleading) चीज़ों के प्रभाव में आकर गलतबय़ानी (Misrepresentation) करना काफी नुकसानदेह हो सकता है। इससे साम्प्रदायिक सौहार्द (Communal harmony) और भाईचारे को खतरा तो होता ही है। अगर सूचना, दावा और जानकारी बेहद संवेदनशील (Sensitive) हो तो उसे दूसरे स्रोतों सत्यापित (Verified) करे तभी उस पर कोई राय कायम करे।