राहु दोहरे प्रभाव वाला ग्रह है। जिसके मूल ग्रह में यह वास करता है। उसके गुणों को आत्मसात कर, अपने ज्योतिषीय गुणों के अनुसार मूल तत्वों को उसमें समाहित कर जातक को फल देने लगता है। इसलिए अधिकांश लोगों के ज्योतिषीय समाधान फलदायी नहीं हो पाते हैं। दरअसल जातक को समझ में ही नहीं आता है जीवन में आ रही मुश्किलें किसकी देन है। यदि राहु शुभकारी उस दशा में भी, वो अपने मूल स्वभाव का परित्याग नहीं करता है। राहु का मूल स्वभाव जातक की मती भ्रमित कर उसको भटकाना है। जिसके कारण जीवन में आकस्मिक घटनाएं सामने आएंगी। और साथ ही जातक अपने धन का व्यय व्यर्थ के कामों में करेगा। भले ही राहु के प्रभाव से धन का आवागमन कहीं से भी हो। इसके प्रभाव से मानसिक आर्थिक और स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं। अब चूंकि राहु जिसके साथ बैठा होगा उस ग्रह की अपनी ताकत स्वत:स्फूर्त कमजोर होगी और राहु उसके फल तो बिगड़ेगा ही साथ में जहां दृष्टि का संबंध होगा उसे भी कमजोर करेगा। राहु द्वारा जनित बुरे फल ऐसे होते हैं कि जातक के कामकाज बुरे हालातों से गुजरने लगते हैं। ना मन से और ना ही दिमाग से यह आराम लेने देता है। कुल मिलाकर हालात इतने उलझा देता है कि अपनों से रिश्ते टूटकर उन्हें दुश्मन बना देता है।
अधिक जटिल समस्याओं का हल पूर्ण कुंडली अध्ययन से होगा।