नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): लगातार बढ़ती महंगाई (Dearness) से आम आदमी की कमर टूटती जा रही है। जिसकी वज़ह से खर्च और बचत का संतुलन बिगड़ा है खासतौर से मध्यवर्गीय परिवारों में। हाल ही में रतलाम के कुछ गांवों में दुग्ध उत्पादकों ने दूध की कीमतें बढ़ाने का फैसला लिया है। जिसकी की चपेट में सीधे आम जनता आयेगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर एलपीजी सिलेंडर (LPG Cylinder) और सब्जियों के दामों में उछाल देखा गया। रतलाम जिले के कालिका माता परिसर के राम मंदिर में 25 गांवों के दूध उत्पादकों ने बैठक की। जिसके बाद 1 मार्च से दूध की कीमत 55 रुपये प्रति लीटर करने का फैसला लिया गया।
दुग्ध उत्पादकों का कहना है कि, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण परिवहन शुल्क (Transportation Fee) में इज़ाफा हुआ है। और साथ ही पशु चारे के दाम भी बढ़े है। बैठक में ये फैसला भी किया गया कि अगर दूध की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी नहीं दी जाती है, तो वे आपूर्ति बंद कर देंगे। कोरोना महामारी की अवधि से पहले भी दूध उत्पादकों ने दूध की कीमतें बढ़ाने का फैसला किया था, लेकिन विक्रेताओं के साथ उनका कोई आपसी समझौता नहीं हो पाया। उस दौरान कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी पुरजोर मांग उठायी गयी थी। COVID-19 संकट को देखते हुए कीमतें नहीं बढ़ाई गई।
रतलाम दुग्ध उत्पादक संघ के अध्यक्ष हीरालाल चौधरी ने मीडिया से कहा कि- 25 गांवों के दुग्ध उत्पादकों ने बीते मंगलवार को बैठक की। हमारी मांग दूध की कीमत बढ़ाने की है। पिछले साल कोरोनोवायरस के कारण दूध के दाम नहीं बढ़े थे, लेकिन अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों के साथ-साथ चारे की कीमत भी बढ़ गई है। भैंस की कीमत अभी दूध उत्पादकों द्वारा निर्धारित कीमत 43 रुपये प्रतिलीटर है, इसलिए हमने दूध की कीमत 55 रुपये प्रतिलीटर तक बढ़ाने का फैसला किया है। आगे देखा जायेगा कि शहरी दूध व्यवसायी हमारे इस फैसले से कितना सहमत होते है।