Death Sentence: आज़ादी के बाद पहली बार होगी, महिला को फांसी

नई दिल्ली (प्रियंवदा गोप): भारत में काफी गंभीर मामलों में ही सज़ा-ए-मौत (Death Sentence) का प्रावधान है। हाल ही में उत्तर प्रदेश रामपुर की जेल में सज़ायाफ्ता महिला कैदी को फांसी की सजा मुकर्रर की गयी है। कैदी का नाम शबनम बताया जा रहा है। शबनम यूपी के अमरोहा जिले की रहने वाली है। साल 2008 में अप्रैल महीने के दौरान शबनम में अपने प्रेमी के साथ मिलकर घर के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया था। न्यायिक सुनवाई (Court Hearing) के दौरान देश की सर्वोच्च अदालत में शबनम को फांसी की सजा सुनाई गयी। जिसके बाद उसने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जिसे ठुकरा दिया गया।

शबनम को फांसी की सजा मथुरा की जेल में दी जाएगी जिसके बाद वो आजाद भारत में फांसी पाने वाली पहली महिला होगी। फिलहाल शबनम की उम्र 38 साल है और उसका 12 साल का एक बेटा भी है। जिसे उसने सजा के दौरान जेल में ही जन्म दिया। न्यायालय की ओर से उसके बेटे की देखरेख और पालन-पोषण (Care and upbringing) के लिए एक व्यक्ति नियुक्त किया गया। अब जल्द ही उसे रामपुर की जेल से फांसी के लिए मथुरा लाया जाएगा। फिलहाल उसकी फांसी की सजा की तारीख तय नहीं हुई है लेकिन मथुरा जेल प्रशासन को फांसी का तैयार करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं।

जिसके तहत मथुरा जेल के अधिकारियों ने मेरठ के जल्लाद पवन से संपर्क साधा। पवन मथुरा जेल में आकर फांसी घर की व्यवस्था देख चुका है। फांसी देने के लिए खास फंदा मनीला की रस्सियों से तैयार किया जा रहा है। जो कि बिहार के बक्सर से तैयार होकर मथुरा में जेल अधिकारियों के पास पहुँचेगा। मथुरा की जेल में बना फांसीघर 1870 में तैयार किया गया था। जिसे ब्रिटिश अधिकारियों (British authorities) ने महिला कैदियों को फांसी देने के लिए बनवाया था। ये जगह अपने आप में काफी ऐतिहासिक महत्त्तव रखती है।

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