न्यूज़ डेस्क– कुछ हफ़्तों पहले दिल्ली सरकार ने राशन वितरण (ration distribution) से जुड़ी एक घोषणा की, जिसके अंतर्गत दिल्ली में फंसे मज़दूरों, गरीबों और किराये पर रहने वाले दूसरे ऐसे लोग जिनके पास राशन कार्ड (ration cards) नही है, उनके लिए राशन की व्यवस्था करने का दावा किया गया। जिसके लिए दिल्ली सरकार की ओर से एक वेब लिंक भी जारी किया गया ration.jantsamvad.in. 3 अप्रैल को दिल्ली सरकार द्वारा जारी इस लिंक का प्रचार आम आदमी के प्रवक्ता और विधायक राघव चड्ढा (MLA Raghav Chadha) ने भी काफी बढ़ चढ़कर किया। जैसे ही इस योजना की जानकारी मेरे संज्ञान में आई, मैंने भी आवेदन किया। मैं महरौली विधानसभा (Mehrauli assembly) के अंतर्गत कुसुमपुर पहाड़ी इलाके में रहता हूं, साथ ही मेरे पास दिल्ली का वोटर आईडी कार्ड (voter ID) और अन्य संबंधित दस्तावेज भी है। लेकिन मेरे पास राशन कार्ड नहीं है। दिल्ली सरकार द्वारा वितरित किये जा रहे फ्री राशन हासिल करने के लिए ई-कूपन (e-coupon) के लिए 4 अप्रैल को मैंने आवेदन दिया। जिसके बाद मैंने महरौली विधानसभा क्षेत्र के FSO से इस संबंध में बात की। उन्होंने कहा कि- “अगर आपने नए राशन कार्ड के लिए 2015 के बाद और lockdown पहले आवेदन किया होगा तभी हम आपका ई-कूपन बना पाएंगे वरना नही बना पाएंगे “
मैंने उनसे दिल्ली में फंसे दिहाड़ी प्रवासी मजदूरों (migrant laborers) और किरायेदारों को सरकारी राशन उपलब्ध कराने के बारे में पूछा तो, उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा- ” किसी को नही मिलेगा, जिसने 2015 के बाद और lockdown पहले आवेदन किया होगा उसे ही राशन मिलेगा और किसी को भी नही “
हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने घोषणा करते हुए कहा था कि ” कोई भी प्रवासी मज़दूर दिल्ली राज्य को छोड़कर बाहर न जाए हम उनके लिए राशन की व्यवस्था करवा रहे है ” क्या उनका वो दावा खोखला था। सबूत के तौर पर FSO से हुई बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग मेरे पास है। हालांकि बाद में मैंने दिल्ली के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन (Imran Hussain) से बात की तो उन्होंने भी ठीक FSO वाला ही जवाब दिया।
ऐसे में कई गंभीर सवाल उठते हैं, प्रवासी मजदूरों और किरायेदारों को राशन वितरण करने का दिल्ली सरकार (Delhi government) का दावा खोखला था? दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर किरायेदार प्रवासी मजदूर ही होते हैं। ऐसे में उनके पास दिल्ली का राशन कार्ड नहीं होता। स्थानीय निवासी (local residents) ना होने के कारण वे इसके लिए आवेदन भी नहीं कर सकते हैं। तो ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों और किरायेदारों को राशन उपलब्ध करवाने का वादा पॉलिटिकल स्टंट (political stunt) था?
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