न्यूज़ डेस्क (अनुज गुप्ता): Corona महामारी के प्रकोप के बीच देश की लचर अर्थव्यवस्था और मंदे कारोबार की मार झेल रहे व्यापारिओं पर Delhi MCD ने एक और बोझ लाद दिया है। दिल्ली नगर निगम ने कारोबार के लिए जरुरी लाइसेंस फीस को तक़रीबन 3 गुना बढ़ा दिया है जिसके चलते अब कारोबारियों को 50 रूपये प्रति वर्ग मीटर की बजाये 144 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लाइसेंस फीस देनी होगी।
ऑटो मोबाइल, कारपेट, फर्नीचर, ज्वेलरी शोरूम और वेयर हाउस सहिंत अन्य भंडारण के लिए शोरूम लाइसेंस की आवश्यकता होती है जिसकी फीस में अब नगर निगम ने अचानक तक़रीबन 3 गुना का इज़ाफा किया है।
लाइसेंसिंग विभाग के अधिकारीयों का कहना है कि निगम की आर्थिक स्तिथि को सुधरने के लिए आय के विकल्प तलाशे जा रहे है। इस कड़ी में लाइसेंस फीस को बढ़ाने का प्रयास जारी है।
कितना बढ़ेगा व्यापारियों पर बोझ?
जानकारी की मुताबिक निगम ने लाइसेंस फीस को 3 श्रेणी में विभाजित किया है –
पहली श्रेणी – ए और बी
दूसरी श्रेणी – सी और डी
तीसरी श्रेणी – इ, एफ, जी और एच
- यानी की पहली श्रेणी – ए तथा बी के ट्रेड परिसर में जिस शोरूम का स्थान 250 प्रति वर्ग मीटर का उससे अधिक है अब उसे 50 रूपये वार्ग मीटर की बजाये 144 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लाइसेंस फीस देनी होगी जो कि तक़रीबन 57 हज़ार रूपये होगी।
- इसी प्रकार से दूसरी श्रेणी – सी और डी के परिसर मालिकों को 115 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लाइसेंस फीस देनी होगी जो कि तक़रीबन 46 हज़ार रूपये होगी।
- वहीँ अब तीसरी श्रेणी – इ, एफ, जी और एच श्रेणी के परिसर मालिकों को 86 रूपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लाइसेंस फीस देनी होगी जो कि तक़रीबन 34 हज़ार पांच सौ रूपये होगी।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारीयों का कहना है कि भंडारण लाइसेंस शुल्क की दरों के प्रस्ताव को सदन की बैठक में पास कर दिया गया है। वहीँ उत्तरी निगम के महापौर जयप्रकाश का कहना है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की तर्ज पर ही लाइसेंस शुल्क की दरों में संशोधन किया गया है साथ ही इस प्रस्ताव को सदन की बैठक में भी पास कर दिया गया है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office) द्वारा सोमवार को जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून की तिमाही के बीच देश के घरेलू सकल उत्पाद (GDP) में उम्मीद से अधिक गिरावट देखने को मिली है। पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 फीसदी दर्ज की गई है जो की बेहद चिंता का विषय है क्यूंकि बीते 40 साल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट आई है।
अगर सरकारी तंत्र इसी प्रकास से व्यापारियों को परेशान करेगा और इस संकट की घडी में उन्हें सहयोग देने की जगह लूटेगा तो देश के हालात और भी बिगड़ सकते है। केंद्र की मोदी सरकार को दिल्ली नगर निगम द्वारा बढाई गई फीस पर संज्ञान लेते हुए तुरंत कड़ा कदम उठाना चाहिए।