नई दिल्ली (देवेंद्र कुमार): Delhi Ordinance Issue: सुप्रीम कोर्ट ने आज (10 जुलाई 2023) सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र का रुख पूछा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा (Chief Justice DY Chandrachud and Justice PS Narasimha) की अगुवाई वाली न्यायिक पीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया और आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Senior Advocate Abhishek Manu Singhvi) से अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले में उपराज्यपाल को पक्षकार बनाने के लिये भी कहा।
पीठ ने मामले की सुनवाई 17 जुलाई के लिये तय करते हुए कहा कि, ”मामले पर हम केंद्र सरकार नोटिस जारी करेंगे।” आप सरकार ने अपनी याचिका में दावा किया कि ये कार्यकारी आदेश की असंवैधानिक कवायद है जो कि शीर्ष अदालत के आदेश और संविधान की मूल संरचना को बायपास करने की कोशिश करती है।
दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने अध्यादेश को रद्द करने के साथ ही इस पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है। बता दे कि केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिये अथॉरिटी बनाने के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश 2023 लागू किया था।
आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सेवाओं पर नियंत्रण सामने आये अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले साथ धोखा करार दिया है। मौजूदा अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक हफ्ते बाद सामने आया। अध्यादेश दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव साथ ही दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (DANICS) कैडर के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिये राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण से जुड़ा हुआ है।