न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): Delhi riots 2020: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज (18 अक्तूबर 2022) सामाजिक कार्यकर्ता और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका खारिज कर दी, जो कि फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश फैलाने के लिये यूएपीए के मामले में दो साल से हिरासत में है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर (Justice Siddharth Mridul and Justice Rajneesh Bhatnagar) की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, “हमें जमानत की अपील में कोई दम नहीं लगता। जमानत की अपील खारिज की जाती है।”
पीठ ने खालिद की उस याचिका पर नौ सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसने मामले में उसकी जमानत अर्जी खारिज करने के निचली अदालत के 24 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी। सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी कि शहर के उत्तर-पूर्व इलाके में हुई हिंसा में उसकी न तो कोई “आपराधिक भूमिका” थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ उसका कोई “षड्यंत्रकारी संबंध” था।
खालिद ने अपनी पेटिशन में जिक्र किया कि उनके अमरावती वाले भाषण में कुछ भी भड़काऊ नहीं मिला है। जबकि यही पूरा मामला जो उनके खिलाफ आरोपों का आधार बनता है। उन्होनें आगे दावा किया कि अहिंसा के लिये आह्वान किया था, कहीं भी हिंसा करने के लिये उन्होनें किसी तरह का कोई नेतृत्व नहीं किया।
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि खालिद द्वारा दिया गया भाषण बहुत ही भड़काऊ था। बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) जैसे मुद्दों को लेकर खालिद ने उकसावे भरी तकरीरें दी थी। पुलिस ने तर्क दिया कि दंगे दो चरणों में हुए पहले 2019 में और फिर फरवरी 2020 में। सड़कों की नाकेबंदी, पुलिस कर्मियों और अर्धसैनिक बलों पर हमले, गैर-मुस्लिम इलाकों में हिंसा के अलावा दंगों के दौरान जमकर गलत जानकारियां फैलायी गयी।
पुलिस ने तर्क दिया कि खालिद समेत कई अभियुक्तों ने बेहद शातिराना ढ़ग से भाषण और फर्जी जानकारियां फैलायी जिससे कि मुस्लिम आबादी में डर का माहौल बना।
बता दे कि खालिद, शरजील इमाम (Sharjeel Imam) और कई अन्य लोगों पर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित तौर पर फरवरी 2020 के दंगों के “मास्टरमाइंड” होने के लिये मामला दर्ज किया गया है, इन दंगों के दौरान 53 लोग मारे गये थे और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे। सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गयी थी।
हाई कोर्ट ने अप्रैल में खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। मामले में खालिद के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी (Khalid Saifi), जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल और देवांगना कलिता (Natasha Narwal and Devangana Kalita), जामिया कोर्डिनेशन कमेटी (Jamia Coordination Committee) की सदस्या सफूरा जरगर (Safoora Zargar), आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन (Former Councilor Tahir Hussain) और कई अन्य लोगों पर भी मामले में कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।