न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के पीछे कथित “बड़ी साजिश” से जुड़े मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र-कार्यकर्ता उमर खालिद (Former JNU student-activist Umar Khalid) की जमानत याचिका आज (24 मार्च 2022) खारिज कर दी। बता दे कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत (Additional Sessions Judge Amitabh Rawat) ने बुधवार (23 मार्च 2022) को तीसरी बार अपने फैसले को टाल दिया था और इसे ‘सुधार के तहत’ बताते हुए आज के लिये सुरक्षित कर लिया।
अदालती फरमान जो कि 14 मार्च को सुनाया जाना था, उसे 21 मार्च के लिये लिस्टेड किया गया था। लेकिन अभियोजन पक्ष (Prosecutors) द्वारा लिखित नोट दाखिल करने के बाद अदालत ने इसे स्थगित कर दिया और 23 मार्च (बुधवार) के लिये पोस्ट किया। गौरतलब है कि 3 मार्च को न्यायिक पीठ (Judicial Bench) ने मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने फरवरी 2020 में अमरावती में उमर खालिद द्वारा दिये गये भाषणों की प्रासंगिकता पर तर्क दिया था। उन्होंने कहा कि 11 फरवरी को जमानत अर्जी खारिज कर दी गयी थी, उस दौरान डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के दौरे का ऐलान किया गया था। दंगे वाले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति दिल्ली में ही थे।
सुनवाई के दौरान खालिद के वकील ने भारतीय दंड संहिता और यूएपीए (Indian Penal Code and UAPA) के तहत आरोपों का विरोध करते हुए आरोपपत्र को ‘ख़्याली’ करार दिया। उन्होंने दलील दी कि खालिद का दिया गया भाषण गांधी, सद्भाव और संविधान के बारे में था, और ये कोई जुर्म नहीं था। दलीलों का दौर पूरा होने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
इस साजिश के मामले में आरोपियों में से एक खालिद पर आतंकवाद विरोधी कानून – गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया। सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद फरवरी 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे। दंगों के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पहली भारत की यात्रा हुई, दंगों में 50 से ज़्यादा लोगों की जान चली गयी और 700 से ज़्यादा लोग घायल हो गये थे।