नई दिल्ली (मृत्युजंय झा): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नये संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन करने के लिये तैयार हैं, लेकिन कई विपक्षी दलों ने इस समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हालांकि कई लोगों ने ये सवाल भी उठाया है कि जब हमारे पास पहले से ही पुराना संसद भवन है तो नये संसद भवन की जरूरत क्यों है? अंग्रेजों के जमाने से मौजूदा संसद भवन 97 साल पुराना है। बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 10 दिसंबर 2020 को नये संसद भवन का शिलान्यास किया और रिकॉर्ड 21 महीने के अंदर ही ये भवन उद्घाटन के लिये तैयार हो गया।
संसद भवन करीब 96 साल पहले 1927 में बनकर तैयार हुआ था और तब ये अपने आप में अनूठी और शानदार इमारत थी। लेकिन बदलते समय के साथ भारत की जरूरतें और आकांक्षायें भी बदलीं और भारत की नई संसद इन्हीं बदलती जरूरतों और आकांक्षाओं की प्रतीक है। 28 मई को संसद का ये नया भवन भारत के लोगों को समर्पित किया जायेगा।
नए संसद भवन को मशहूर आर्किटेक्ट विमल पटेल ने डिजाइन किया है। विमल पटेल (Vimal Patel) ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor), साबरमती रिवर फ्रंट और गुजरात हाई कोर्ट (Sabarmati River Front and Gujarat High Court) समेत कई नामचीन इमारतों को डिजाइन किया है।
नया संसद भवन भारत की परंपरा के साथ आधुनिकता का अनूठा संगम है… एक ओर जहां ये भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर इसमें 21वीं सदी की हर आधुनिक तकनीक और जरूरी सुविधाएं भी मौजूद हैं।
नई संसद में दो सदन हैं, लोकसभा और राज्यसभा (Lok Sabha and Rajya Sabha)। लोकसभा को भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर डिजाइन किया गया है और इसमें लोकसभा के 888 सांसद बैठ सकेंगे। वहीं राज्यसभा को भारत के राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है और इसमें 300 राज्यसभा सांसद बैठ सकेंगे।
जब पुरानी संसद है तो नई संसद क्यों बनाई जा रही है?
पहली वज़ह यह है कि मौजूदा संसद भवन काफी पुराना है। दरअसल मौजूदा संसद भवन का निर्माण साल 1921 में शुरू हुआ था और करीब 6 साल बाद इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन (Viceroy Lord Irwin) ने किया। इस लिहाज से मौजूदा संसद करीब 100 साल पुराना है।
इसके अलावा पुराने भवन में सुरक्षा को लेकर भी कई दिक्कतें हैं। जैसे मौजूदा संसद भवन भूकंपीय क्षेत्र 2 में बनाया गया था, जबकि अब दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र IV में आता है। यही नहीं पुराने भवन में अग्नि सुरक्षा भी चिंता का बड़ा सब़ब है, क्योंकि पुराने संसद भवन को मौजूदा अग्नि सुरक्षा नियमों के मुताबिक डिजाइन नहीं किया गया है।
इसके अलावा मौजूदा संसद भवन तकनीकी तौर पर काफी पीछे है, क्योंकि यहां ऑडियो-विजुअल तकनीक से लेकर अन्य चीजें भी काफी पुरानी हैं और उनमें लगातार बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी। दूसरी वज़ह मौजूदा संसद भवन में जगह और बैठने की भारी किल्लत है।
मौजूदा हालातों भारत में कुल 543 लोकसभा सीटें हैं, जबकि राज्यसभा में कुल 250 सीटें हैं। लेकिन नई परिसीमन रिपोर्ट (New Delimitation Report) के मुताबिक साल 2026 में भारत में लोकसभा की सीटें बढ़कर 800 से ज्यादा हो जायेगी, वहीं राज्यसभा की सीटें भी 300 के पार हो जायेगी, यानि कि लोकसभा और राज्यसभा की कुल सीटों की तादाद देश 1,100 से ज्यादा होगी।
इस लिहाज से पुराने संसद भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की क्षमता है। सेंट्रल हॉल में 440 सांसद ही बैठ सकते हैं। यानि संसद के मौजूदा भवन में मौजूदा सांसदों की तादाद के हिसाब से जगह कम है। ऐसे में अगर नई परिसीमन रिपोर्ट की सिफारिशों को मान लिया गया तो बड़ी संख्या में सांसदों को बैठने की जगह नहीं मिल पायेगी।
इसलिये संसद के लिये एक नया भवन बनाने का फैसला लिया गया। नये संसद भवन में लोकसभा के अंदर 888 सदस्यों और राज्यसभा के अंदर 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता है।