धनतेरस (Dhanteras) के दिन ही समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि (Lord Dhanvantari) अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi) के नाम से जाना जाता है। हमारे ऋषि-मुनि कह गये हैं, ‘पहला सुख निरोगी काया’ अगर काया अर्थात शरीर रोगी है तो आप धन कैसे कमायेगें। अगर पहले से ही अपार धन है तो वे किसी काम का नहीं। शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे। घूमना-फिरना, हंसी-मजाक, पूजा-प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
इसलिये सबसे पहले हमारा स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए और भगवान धन्वन्तरि ही हमें अच्छा स्वास्थ्य और हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। इसलिये धनतेरस के दिन अच्छा स्वास्थ्य (Good Health) पाने के लिये और किसी भी तरह की बीमारी (Disease) से पीड़ित व्यक्ति को बीमारी से मुक्ति पाने के लिये गाय के घी का दीपक लगाकर भगवान धन्वंतरी स्तोत्र का 11 बार और मंत्र का 108 बार का पूरी श्रद्धा से पाठ करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त – 22 अक्टूबर की शाम – 07.01 बजे से रात – 08.20 बजे तक
धन्वन्तरि स्तोत्र
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥
मंत्र
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
इस मंत्र का जाप करने से पहले एक पात्र में जल भरकर अपने सामने इस तरह रखे कि जल आपको दिखाई दे। उसके बाद मंत्र का जाप इस तरह से करे कि शब्द आपको स्पष्ट रूप से सुनाई दे। जाप होने के बाद पात्र में रखा जल अब भगवान धन्वन्तरि के आशीर्वाद से विशेष स्वास्थ्यवर्धक जल बन चुका होगा, अब ये जल परिवार के सभी सदस्य ग्रहण करे ताकि सभी को भगवान धन्वन्तरि की कृपा से अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति हो।