न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): Diarrhoea outbreak: बिहार के औरंगाबाद जिले के नाथू बीघा गांव (Nathu Bigha Village) में बच्चों समेत 40 से ज़्यादा ग्रामीणों के डायरिया से पीड़ित होने की खबर सामने आ रही है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया कि गांव में एक मेडिकल टीम भेजी गई थी, लेकिन निवासियों ने कहा कि अभी तक कोई भी टीम उनसे मिलने नहीं आयी है। विभाग ने कहा कि ग्रामीणों ने दावा किया कि उनका इलाज रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा किया जा रहा है।
मामले पर ग्राम पंचायत नाथू बीघा सदस्य आरपी मांझी ने कहा कि, “गांववाले बीते एक हफ़्ते से दस्त की चपेट में हैं। उनमें से कई तो चलने में असमर्थ हैं। रूरल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (Rural Registered Medical Practitioner) दवाओं के जरिये उनका इलाज़ करने की कोशिश कर रहे है। कई लोगों का इलाज़ तो सलाइन और ग्लूकोज के मार्फत किया जा रहा है। पूरे गांव के हालात बेहद खराब हो चुके है। कुछ रोगियों की हालत बेहद गंभीर हो चुकी है। हमने इस मामले को लेकर मदनपुर ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Center) प्रभारी डॉ यतींद्र कुमार से मुलाकात की है।”
सीएचसी प्रभारी डॉ यतींद्र कुमार ने कहा कि, "कुछ गांववालों ने हमें नाथूपुर बीघा गांव के गंभीर हालातों के बारे में बताया। हम एक टीम, एम्बुलेंस और दवाएं भेज रहे हैं। गंभीर मरीजों को सीएचसी मदनपुर और सदर अस्पताल औरंगाबाद ले जाया जाएगा।"
हाल ही में नीति आयोग ने बीते 1 अक्टूबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि बिहार का स्वास्थ्य ढांचा बेहद खराब है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं वाले राज्यों की सूची में बिहार आखिरी पायदान से मात्र एक कदम ही ऊपर है। जहां एक लाख लोगों के बीच सिर्फ छह मेडिकल बेड उपलब्ध हैं।