न्यूज डेस्क (अजित पाटिल): मराठी पत्रकार दिगंबर दराडे ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक (British Prime Minister Rishi Sunak) पर छपी किताब ने पाठकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। दिगंबर दराडे की ये किताब तेजी से चर्चा का सब़ब बनती जा रही है। सिर्फ पंद्रह दिनों के भीतर इसकी 2000 कॉपी बिक चुकी है। जल्द ही ये अपने चौथे संस्करण के लॉन्च की ओर भी बढ़ती नज़र आ रही है।
लंदन के अपने प्रवास के बाद, दराडे (Marathi journalist Digambar Darade) ने अपनी महान इस कृति के पन्नों के भीतर सुनक के व्यक्तित्व के बहुमुखी आयामों को सरलता, सृजनात्मकता और संजीदगी से उजागर किया। देश की युवा पीढ़ी इस किताब का डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी खासा तव्ज़्जों दे रही है।
किताब में सुनक के पेशेवर जिन्दगी से लेकर सियासी सफर के बारे में खुलकर किस्सा बयां किया गया है। वो इंफोसिस के संस्थापक, दूरदर्शी नारायण मूर्ति और परोपकारी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) के दामाद हैं। विरासत के शानदार संगम को समेटे हुए कैसे एक तेजतर्रार भारतीय मूल का शख्स ब्रिटेन सत्ता के शिखर पर पहुँच गया है, वो एक ऐसे मुल्क की अगुवाई कर रहे है, जिसने लगभग दो शताब्दियों तक भारत पर सर्वोच्च शासन किया।
किताब में बताया गया है कि कैसे हिंदू संस्कृति गर्व करने वाले ब्रिटिश प्रधानमंत्री मंदिर में दर्शन करने जाते है तो दुनिया भर के भारतीयों के लिये गर्व का विषय बन जाता है। उनकी अटूट भक्ति, गीता पर ली गई पवित्र शपथ से साफ हो जाती है।
माई मिरर पब्लिशिंग हाउस के प्रबंध निदेशक मनोज अंबिके (Manoj Ambike) इस शानदार साहित्यिक कवायद से मिली असाधारण प्रतिक्रिया का खुलासा किया, जिसके चलते सिर्फ दो दिनों के भीतर दूसरे संस्करण को जारी करने के लिये प्रेरित किया गया। इसके साथ ही किताब की पहुँच को बढ़ाने के लिये इसका अनुवाद कई भाषाओं में भी करवाया जायेगा ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इस किताब को लेकर सामने आये जिज्ञासुओं को किसी भी तरह की भाषाई बाधाओं का सामना ना करना पड़े।
हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति को लेकर एक दफा ऋषि सुनकने कहा था कि, “मैं एक ब्रिटिश नागरिक हूं। यहां मेरा घर है। फिर भी मेरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत स्वाभाविक तौर पर भारतीय है। मेरी आस्था और विश्वास अनुग्रह का प्रतीक है। भारतीय लोकाचार का प्रतीक है। हिंदू धर्म के गौरवपूर्ण अनुयायी के तौर पर मेरी आत्मा इस पर गर्व करती है।”
दिगंबर दराडे की इस शानदार किताब में ऋषि सुनक के व्यक्तित्व के कई आयामों को छुआ गया है। किताब के मुताबिक उनके वजूद को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धागों के बुना गया है, जिसकी बुनियाद पर उनका सफर खासा दिलचस्प हो जाता है। ये किताब अपने आप में विविध संस्कृतियों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिये वसीयतनामा है।