न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): कुछ इंसानी किस्से मिसाल बनते हैं तो कुछ इतिहास। हिम्मत, हौंसले और जज्बे से लबरेज़ है, बिहार की बेटी ज्योति का किस्सा। कोरोना वायरस (Corona virus) के चलते हैं प्रवासी मजदूरों के बड़े पलायन के बीच ज्योति अपने बीमार पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम (Gurugram) से दरभंगा पहुंच गई। 1200 किलोमीटर साइकिल चला कर ज्योति दुनिया के सामने चर्चा का विषय बन गयी। गौरतलब है कि बिहार में दरभंगा जिले (Darbhanga district) के तहत सिरहुल्ली निवासी मोहन पासवान लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान बीमार थे। पैसा और राशन खत्म होने पर उनकी बेटी ज्योति ने खुद उन्हें साइकिल पर बैठाकर दरभंगा जाने का फैसला किया।
ज्योति के इस संघर्षपूर्ण सफर के चर्चे व्हाइट हाउस में भी सुने गये। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) की बेटी इवांका ट्रंप (Ivanka Trump) ने ट्वीट कर ज्योति की हिम्मत को सराहा।
ज्योति के आठ दिन तक चले इस सफर की कहानी सामने आने पर बहुत से लोगों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। कई लोग और गैर सरकारी संगठन (Non government organization) ज्योति की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए तैयार हैं। साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (Cycling Federation of India) ने ज्योति के जज्बे को देखते हुए, अगले महीने होने वाले ट्रायल में मौका देने की पेशकश की। साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ओंकार सिंह (Chairman Omkar Singh) ने इस बात की पुष्टि की।
गुरुग्राम में लॉक डाउन में फंसने के दौरान प्रधानमंत्री राहत कोष (Prime Minister’s Relief Fund) से मोहन पासवान को ₹1000 मिले थे। ज्योति ने इस रकम में कुछ और पैसे मिलाकर पुरानी साइकिल खरीद, खुद से पहल करते हुए पिता को गांव छोड़ने का बड़ा फैसला उठाया। पहले तो ज्योति के पिता इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन ज्योति के हौंसले के सामने घुटने टेकते हुए उन्हें हामी भरनी पड़ी। 8 दिन की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार दोनों दरभंगा पहुंचने में कामयाब रहे।