न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों के खाली पदों को भरने की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध के चलते आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में ग्रेड 2 और ग्रेड 3 के डॉक्टर बीते एक हफ़्ते से काम का बहिष्कार कर रहे है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग है कि संभावित कोरोना की तीसरी लहर से पहले सरकार को देश भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिये।
एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. आयुष कपूर ने इस मामले पर कहा कि, “हम लगभग एक तिहाई ताकत के साथ काम कर रहे हैं। हम एनईईटी काउंसलिंग के प्रोसेस में तेजी लाने की मांग कर रहे । एनईईटी परीक्षा सितंबर में आयोजित की गई थी।” दूसरी ओर हैदराबाद में उस्मानिया मेडिकल कॉलेज (Osmania Medical College) के रेजिडेंट डॉक्टरों ने NEET-PG काउंसलिंग में देरी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
इसी क्रम में दिल्ली के एम्स, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, कलावती सरन अस्पताल, सुचेता कृपलानी अस्पताल, राम मनोहर लोहिया, लोकनायक अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, इहबास, संजय गांधी अस्पताल, अंबेडकर अस्पताल और दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में ओपीडी सेवायें बुरी तरह प्रभावित दिखी। ज़्यादातर ओपीडी में निदेशक,एसोशिएट प्रोफेसर और अस्सिटेंट प्रोफेसर ओपीडी में मरीज़ों को देखते मिले। इस बीच दिल्ली सरकार डॉक्टर हेडगेवार आरोग्य संस्थान में ओपीडी सेवायें सामान्य तौर पर चलती दिखायी दी।
चिकित्सकों की हड़ताल (Doctors Strike) से आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई जगह केजुअल्टी में डॉक्टर्स की उपलब्धता दिखायी दी। ज़्यादातर मरीज़ों का हड़ताल का हवाला देकर अस्पताल से वापस भेज जा रहा है। इसी के चलते तयशुदा कई ऑप्रेशनों को टाला गया। कई रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशंस (Resident Doctors Association) ने ओपीडी, वॉर्ड और ऑपरेशन थिएटर्स को पूरी तरह बंद रखने का फैसला लिया है ताकि केंद्र सरकार पर नीट पीजी काउंसिलिंग में तेजी लाने के लिये दबाव डाला जा सके।