ऐसा लग रहा है कि, हम लोग प्रागैतिहासिक काल में जी रहे हैं। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश के बरेली में सड़कों पर जबरन बैठने के लिए मजबूर किया गया और साथ ही उन्हें सैनिटाइज करने के लिए, कीटाणु नाशक दवाई से नहलाया गया। ऐसा लगता है कि, गरीबों को बेजान माना जाता है। फायर ब्रिगेड की गाड़ियों में केमिकल भरकर बसों, गाड़ियों के साथ-साथ लोगों पर छिड़काव किया जा रहा है। इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकतों के लिए कौन जवाबदेह है? पढ़ी-लिखी आवाम जो सरकारी महकमों को अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से दिए टैक्स के पैसों से पाल रही है। यहीं आवाम इन हालातों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इस हरकतों के सामने किसी भी तरह की सजा मुकर्रर करना बहुत छोटा कदम होगा। इन तरीकों से कोरोना के संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सकता है। लगता है हम लोग एक बेकाबू होती है आपदा की ओर लगातार बढ़ रहे हैं। जिसके लिए व्यवस्था जिम्मेदार होगी।
गरीबों के साथ सरकार का ये कैसा सलूक – कैप्टन जी.एस. राठी
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