नई दिल्ली (श्री हर्षिणी सिंधू): अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणि ने आज (11 अप्रैल 2023) सुप्रीम कोर्ट को बताया किया कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार है और आगामी मानसून सत्र (Monsoon Session) में संसद में इसे पेश किया जायेगा और व्हाट्सएप गोपनीयता नीति (Whatsapp Privacy Policy) के संबंध में ये याचिकाकर्ताओं की ओर से व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के बारे में उठायी गयी चिंताओं को भी दूर करेगा।
बता दे कि 1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने व्हाट्सएप को मीडिया में व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया था कि यूजर्स उसकी 2021 की गोपनीयता नीति को मंजूर करने के लिये बाध्य नहीं हैं और नये डेटा संरक्षण विधेयक के प्रभावी होने तक व्हाट्सएप की कार्यक्षमता प्रभावित नहीं होगी।
एजी ने आज न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ (Justice K.M. joseph) की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने अपना पक्ष रखा और कहा कि विधेयक तैयार है। इसे संसद में पेश किया जायेगा। एजी ने जोर देकर कहा, “मानसून सत्र में ये (विधेयक) पेश किया जायेगा …”
जस्टिस जोसेफ ने एजी से पूछा, “मानसून सत्र का मतलब?” एजी ने जवाब दिया कि ये जुलाई में होगा।
पीठ जिसमें जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय औvर सी.टी. रविकुमार (Hrishikesh Roy and C.T. Ravi Kumar) ने कहा कि मामला जुलाई में सुनवाई के लिये पोस्ट किया जा सकता है। इस मौके पर व्हाट्सएप की अगुवाई कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) ने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र जुलाई के अंत में है। पीठ को सुझाव दिया गया कि मामले में अगस्त में सुनवाई करना ज्यादा व्यावहारिक होगा।
याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मामले को पहले सूचीबद्ध किया जाना चाहिये और विधेयक को पिछले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
एजी ने जवाब दिया कि परामर्श प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है, ये कवायद बहुत ही योग्य परामर्श प्रक्रिया से गुज़री और ये ना कहा जाये कि हम ज्यादा समय ले रहे हैं, और आप चाहते हैं कि एक अच्छा कानून आये …”।
दीवान ने ज़वाब दिया, “हम निश्चित रूप से एक अच्छा कानून चाहते हैं…”, और अदालत से कहा कि अदालत की सुनवाई को विधायी प्रक्रिया से न जोड़ा जाये और इस बात पर जोर दिया कि विधायी प्रक्रिया जटिल है और विधेयक को कुछ को संदर्भित किया जा सकता है। समिति और ये यहां जा सकती है या वहां जा सकती है।
सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने एजी की दलीलों पर ध्यान दिया कि विधेयक जो सभी चिंताओं को दूर करेगा, मानसून सत्र के दौरान पेश किया जायेगा, जो कि जुलाई में शुरू होगा। पीठ ने कहा कि हालातों को देखते हुए इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जा सकता है ताकि अगस्त के पहले हफ्ते में एक पीठ का गठन किया जा सके।
बता दे कि शीर्ष अदालत ने अपने 1 फरवरी के आदेश में कहा था कि- “जब इन मामलों को उठाया गया था तो उत्तरदाताओं खासतौर से अटॉर्नी जनरल और भारत संघ के लिये मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने फिर से हमारे ध्यान में लाया कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 विचाराधीन है। उनका तर्क है कि बिल उन सभी तमाम पहलुओं से निपटेगा जो कि इस अदालत के समक्ष याचिकाओं की विषय-वस्तु हैं और उनका नज़रिए ये है कि इसे मामले सुनवाई के लिये नहीं लिया जायेगा।”
शीर्ष अदालत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दो छात्रों, कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की ओर से व्हाट्सएप और उसके मूल कंपनी मेटा के बीच किये गये अनुबंध के खिलाफ कॉल, फोटो, टेक्स्ट, वीडियो और यूजर्स द्वारा साझा किये गये दस्तावेजों तक पहुंच देने से रोकने के लिये दायर याचिका शामिल थी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ये उनकी निजता और मुक्त अभिव्यक्ति का सीधा उल्लंघन है।
मई 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry Of Electronics And Information Technology) के खत के जवाब में व्हाट्सएप ने आश्वासन दिया था कि अगर वो नई गोपनीयता नीति अपडेट को मंजूर नहीं करते हैं तो मैसेज सर्विसेज अपने यूर्स के लिये कार्यक्षमता को सीमित नहीं करेगी।
फरवरी में शीर्ष अदालत ने देखा था कि व्हाट्सएप को व्यापक प्रचार देने से उन लोगों को फायदा होगा जो इसकी 2021 की गोपनीयता नीति की शर्तों से सहमत नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने व्हाट्सएप से सरकार को दिये गये अपने वचन पत्र के संबंध में पांच अखबारों में विज्ञापन देने को कहा।
पीठ ने कहा था, ‘हम आगे निर्देश देते हैं कि व्हाट्सएप इस पहलू पर दो मौकों पर पांच राष्ट्रीय अखबारों में व्हाट्सएप के ग्राहकों को इससे मामले से जुड़ा प्रचार करेगा।’