न्यूज डेस्क (निकुंजा राव): कोरोना के मात देने के लिये डीआरडीओ (DRDO) ने एंटी-कोविड दवा 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज) बनायी। जो कि पाउडर के तौर पर बनायी गयी है। इसे पानी के साथ लिया जा सकता है। आज इस दवा के पहले बैच को लॉन्च किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसे जारी किया। इसे परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान (INMAS), डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज (DRL) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
दवाई को राजनाथ सिंह ने अपने कैबिनेट सहयोगी हर्षवर्धन और दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया की मौजूदगी में जारी किया। इस दवा की 10,000 खुराकें राष्ट्रीय राजधानी के कुछ अस्पतालों में डिस्ट्रीब्यूट की जायेगी। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने पिछले सप्ताह दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी थी। महामारी के खिलाफ लड़ाई में ये दवा एक गेम-चेंजर (Game changer) हो सकती है। इसके इस्तेमाल से मरीजों में तेज रिकवरी होती है। जिससे उसकी ऑक्सीजन पर निर्भरता कम हो सकेगी।
क्लिनिकल परीक्षण के नतीज़ों से पता चला है कि दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करती है और इससे कॉम्पलिमेंट्री ऑक्सीजन (Complimentary Oxygen) पर निर्भरता भी कम होती है। 2-डीजी के साथ इलाज किये गये रोगी बड़ी तादाद RT-PCR टेस्ट में निगेटिव पाये गये। पिछले साल मई और अक्टूबर के बीच आयोजित दूसरे चरण के परीक्षणों में ये दवा COVID-19 रोगियों के लिये सुरक्षित पाई गयी थी।
पिछले साल अप्रैल में महामारी की पहली लहर के दौरान, INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला प्रयोग दौरान पाया कि दवाई में इस्तेमाल अणु SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करता है। और वायरल विकास को रोकता है। इन नतीज़ों के आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने मई 2020 में कोरोना रोगियों में 2- DG के दूसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी दी थी।
मई-अक्टूबर 2020 के दौरान किये गये दूसरे चरण के परीक्षणों (खुराक सहित) में दवा को COVID-19 रोगियों के लिये सुरक्षित पाया गया। जिससे मरीजों की रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। इस दवा का चरण- II छह अस्पतालों में आयोजित किया गया था। चरण II (खुराक लेकर) नैदानिक परीक्षण पूरे देश में 11 अस्पतालों में आयोजित किया गया था। दूसरे चरण का परीक्षण 110 मरीजों पर किया गया।