टेक डेस्क (दिगान्त बरूआ): रक्षा अनुसंधान एवं विकास ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने हाल ही में भारतीय सेना की आर्टिलरी शाखा को मजबूती देने के लिए, एक बेहद खास हथियार का सफल परीक्षण किया है। इसकी गुणवत्ता और कारगर क्षमता के आगे पाकिस्तान और चीनी हथियार भी पानी भरते नज़र आयेगें। स्वदेशी तकनीक से विकसित ATAGS (The Advanced Towed Artillery Gun System) Howitzer प्रणाली को सफल परीक्षण ओडिशा बालासोर फायरिंग रेंज में किया गया। जिसमें एटीएजीएस हर पैमाने पर खरी उतरी। एटीएजीएस प्रोजेक्ट डायरेक्टर के मुताबिक मौजूदा हालातों में ये दुनिया की काफी अच्छी तोप है। फिलहाल दुनिया का कोई मुल्क इस स्तर की तोप विकसित नहीं कर पाया है।
तोप के डिजाइन को तीन साल के भीतर तैयार किया गया। जल्द ही इसे पीएसक्यूआर परीक्षणों (PSQR tests) से भी गुजारा जायेगा। केन्द्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को ये और भी बल देगा। ये 48 किलोमीटर के दायरे में अपनी कारगर क्षमता से दुश्मनों के होश उड़ा सकची है। फिलहाल भारतीय सेना के तोपखाने को 1800 ऑर्टिलरी गन की फौरी जरूरत है। फिलहाल भारतीय सेना के पास 1580 टो करने वाली तोपें, 150 ATAGS और 114 धनुष तोपे है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के मुताबिक अगर इस तोप का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाये तो भारत को विदेशी आर्टिलरी तोपों (Foreign Artillery Cannon) के आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
इस्राइली आर्टिलरी सिस्टम ATHOS से ये काफी मायने में एडवांस्ड है। चीन से लगी सिकिम्म की सीमा और पाकिस्तानी सीमा के पास पोखरण में ये तोप दो हज़ार से ज़्यादा गोले दगाकर अपनी काबिलियत साबित कर चुकी है। DRDO द्वारा विकसित करने के बाद इसे भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (Bharat Forge and Tata Advanced Systems Limited) ने निर्मित किया। फिलहाल इसके अलावा दुनिया की कोई भी तोप 48 किलोमीटर तक मार नहीं कर सकती। एक मिनट में ये पांच राउंड फायर कर सकती है। इसे कम मेनटेंस की जरूरत होती है। ट्रक से बांधकर इसे कहीं ले जाया सकता है। भारतीय सेना में मौजूद बोफोर्स तोप सिर्फ 32 किलोमीटर तक ही मार कर सकती है। उसकी तुलना में ये कहीं ज़्यादा बेहतर है।
इसे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा हथियार माना जा रहा है। इसकी तुलना में दुनिया की अन्य सबसे बेहतरीन तोप सिर्फ 40 किलोमीटर तक ही कारगर रेंज रखती है, यानि कि युद्ध के हालातों में अगर हमारे ज़वान इस शस्त्र का इस्तेमाल करते है तो ये उन्हें दुश्मन की तोप से 8 किलोमीटर की सुरक्षित दूरी मुहैया करवायेगी। फिलहाल इसके मुकाबले में ATHOS और नेक्सटर गन जैसी तोपें खड़ी है। जो कि इसकी तुलना में बेहद मंहगी और ज्यादा मेनटेंस की दरकार रखती है। इसे साल 2030 की जरूरतों के मद्देनज़र डिजाइन और विकसित किया गया है। मौजूदा हालातों में इसे देखते हुए भारत ने बेहतरीन विश्वस्तरीय आर्टिलरी प्रणाली (World class artillery system) विकसित करने की काबिलियत हासिल कर ली है। हाल ही में कुछ दिन पहले सीडीएस रावत ने भविष्य जंग स्वदेशी हथियारों लड़ने और जीतने की बात कही थी। जिसे पूरा करने के पहली कड़ी एटीएजीएस है।