राष्ट्र का भार ढ़ोने वाले की हालत आज एक मरे हुए सांप सी हो गयी है, इसकी पीछे व्यवस्था की जोकों का हाथ है। मौजूदा हालत में एयर इंडिया को शोषण के सामान के तौर पर देखा जा रहा है, जिसकी रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है। सीधा सा मामला लोन के तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के कारोबार का है। संगठित रूप से यहाँ पर घोटाला करने के लिए लूटखोरों की जम़ात है ताकि तेज़ी के साथ पैसा डकारा जा सके।
अब सरकार निवेशकों को भरमाने के लिए रंगीन तस्वीर पेश कर रही है। लेकिन वास्तविकता दम तोड़ रही है, इससे आगे लाख, करोड़ से भी ज़्यादा हज़ारों करोड़ जो सरकार दावा करने से बचती है। इसके अलावा उन कानूनी दायित्त्वों का क्या जिनमें कई बड़े घोटालों, जो विभिन्न इन्फोर्समेंट के पास लंबित पड़े है।
ये सहन कौन करेगा और किस आधार पर भ्रष्ट और दोषियों की गिरफ्तारियां होगी। लगता है इस गिरोह को बेचने के नाम पर अब इसे आज़ाद करने की तैयारी कर ली गयी है। इसके अलावा एयर इंडिया एक्सप्रेस अभी भी सफेद हाथी है। तो ऐसे में इसे बेचने का क्या जरूरत ? केन्द्र सरकार अब कह रही है कि हम इसके दो-तिहाई हिस्से को एडजस्ट करेगें।
इस तरह के बयान बेवकूफाना और मानसिक दिवालियेपन को दिखाते है। इससे जुड़ी प्रत्येक इकाई खुद में भानुमती का पिटारा है। इसे बाद में खोलने पर निवेशक भी दम तोड़ देगा। कुल मिलाकर ये टैक्स पेयर्स की गाढ़ी कमाई का पैसा था। जिसे लेकर षड्यन्त्र को खेल खेला जा रहा है। विकास के नाम पर व्यवस्था के जोकों की ये एक और अद्वितीय रचना है।