Dussehra Special: ये है रामायण से जुड़ी बेहद खास बातें

नई दिल्ली (यथार्थ गोस्वामी): दशहरा (Dussehra), दीवाली, रामनवमी, सीता अष्टमी और हनुमान जयंती जैसे त्यौहार ही हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता को साबित करते है। रामायण के परिप्रेक्ष्य में बाल्मीकि कृत रामायण (Maharishi Valmiki’s Ramayana) को राम कथा का आदि ग्रंथ माना जाता है। इसके बाद तुलसीदास, संत एकनाथ ने अपने तरीके से रामकथा का बखान किया। साहित्यिक नज़रिये से कम्बन रामायण, विलंका रामायण, पंप रामायण,  रामायण पांचाली, भावार्थ रामायण, आनंद रामायण, उड़िया, तमिल, तेलगू सहित रामकथा के कई अन्य रूप भी सामने आये। रामकथा के हर स्वरूप में समानतायें और भिन्नतायें समाहित है। कहीं पात्रों की विभिन्नता है तो कहीं प्रसंगों की। लेकिन सबके मूल में एक ही संदेश (Same message at the core of all) निहित है। इन्हीं दिलचस्प विभिन्नताओं को इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके सामने ला रहे है।

रामायण से जुड़ी बेहद खास जानकारियां

  • वाल्मीकी कृत रामायण में कहीं भी लक्ष्मण रेखा का विवरण सामने नहीं आता है। रामचरितमानस (Ramcharitmanas) में लक्ष्मण रेखा के बारे में पहली बार विवरण लंका कांड में सामने आता है। मंदोदरी संवाद में पहली बार इसका विवरण सुनने में आता है।
  • जिस दंडकारण्य वन (Dandakaranya Vana) के अन्दर राम, सीता और लक्ष्मण ने अपना ज़्यादातर समय बिताया। वो मौजूदा वक्त में छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के बीच 35,600 वर्ग मील में फैला हुआ है। इस वन का ज़्यादातर हिस्सा फिलहाल नक्सली प्रभाव में है।
  • भगवाम राम की एक बड़ी बहन भी थी। जिसका नाम शांता था। जो चारों भाइयों में से सबसे बड़ी थी। अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी की कोई संतान नहीं थी। इन दोनों की कोई संतान नहीं थी। राजा दशरथ ने स्नेह वश अपनी बेटी इन्हें गोद दे दी। इसके अलावा भगवान राम की एक ओर बहन का भी विवरण मिलता है जिसका नाम कुकबी था।
  • आनंद रामायण (Anand Ramayana) के अनुसार रावण ने न सिर्फ माता सीता का अपहरण किया था। बल्कि भगवान राम की माता कौशल्या का भी अपहरण किया था। भगवान ब्रह्मा ने रावण को बहुत पहले ही बता दिया था कि दशरथ और कौशल्या का पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। अपनी संभावित मृत्यु को टालने के लिए रावण ने कौशल्या का अपहरण कर उन्हें एक डिब्बे में कैद करके समुद्र से घिरे द्वीप पर छोड़ दिया था।

  • अशोक वाटिका में वास के दौरान भगवान ब्रह्मा ने एक विशेष खीर इंद्र के हाथों देवी सीता तक पहुंचाई थी। इंद्र ने देवी सीता के पहरे में लगी राक्षसियों को योग निद्रा के प्रभाव से सुला दिया। जिसके बाद इंद्र ने माता सीता को वो दिव्य खीर दी, जिसे ग्रहण कर माता सीता की भूख प्यास तृप्त हो गयी। और वो अशोक वाटिका में बिना कुछ भी खाये पिए लंबे समय रह सकी।
  • राक्षसराज रावण भगवान शिव का अनन्यतम भक्त था। भगवान शिव का भजन कीर्तन करने के लिए रावण ने एक बार अपनी बाजू काटकर उससे रावण हट्टा नामक एक वाद्ययंत्र बनाया।
  • गिलहरी के शरीर पर बनी धारियां भगवान राम के आशीर्वाद का मूर्त स्वरूप है। लंका विजय अभियान के दौरान सेतुबंधन के अवसर गिलहरी ने यथा शक्ति पुल निर्माण कार्य में योगदान दिया था। गिलहरी का समर्पण और भक्तिभाव देखकर भगवान राम ने उसके शरीर स्नेहपूर्वक हाथ फेरे थे। भगवान की उंगलियों के निशान आज भी गिलहरियों के शरीर पर धारी बने हुए है।
  • रामायण काल में शतरंज खेला जाता था। इस खेल की खोज रावण की रानी मंदोदरी ने किया था। उस दौरान इसे चतुरंग कहा जाता था। लंका युद्ध के दौरान दूरबीन का इस्तेमाल किया गया। भगवान राम के पास अग्‍निवेश नामक विशिष्ट कांच था। जिसकी मदद से वानरसेना ने दूर लंका में लगे दारूपंच अस्‍त्र को देखा था जो कि प्रक्षेपास्त्र छोड़ने वाला अस्त्र था।
  • जब भगवान राम अयोध्या का परित्याग वनगमन के लिए निकले तब उनकी आयु मात्र 27 साल की थी। रामायण के अरण्य कांड के चौदहवें सर्ग के चौदहवें श्लोक में मात्र 33 देवी-देवताओं का वर्णन मिलता है। लंका कांड में रामसेतु बनने का वर्णन मिलता है। रामसेतु 5 दिन में बनकर तैयार हुआ था। इसकी लंबाई 100 योजन और 10 योजन चौड़ाई (1 योजना = 13 किलोमीटर) बतायी जाती है।

  • अमृत प्रभा भगवान राम की नानी और सकौशल उनके नाना थे। दूसरी ओर रावण अपने पूर्वजन्म में प्रतापभानु नाम का क्षत्रिय था।
  • अशोक वाटिका का दूसरा नाम प्रमदावन था। रामकथा का सबसे पहले श्रवण भगवान शंकर द्वारा माँ पार्वती ने किया।
  • रावण को माँ पार्वती, स्वर्ग की अप्सरा रंभा, वेदवती तपस्विनी और इक्ष्वाकु वंश के राजा अनरन्य से श्राप प्राप्त हुआ था।
  • राम की आज्ञा ना मानने के कारण भगवान राम ने स्वयं लक्ष्मण को मृत्यु दंड दिया था। वनगमन के दौरान राजा दशरथ राम को बंदी बनाने वाले थे ताकि वे वनगमन के लिए ना निकल सके। रावण को भगवान राम, देवी परांबा सीता और शेष स्वरूप लक्ष्मण के वास्तविक रूप का ज्ञान था। पूरे कुनबे को तारने के लिए उसने राम से शत्रुता मोल ली। कई जगह ये विवरण सामने आता है कि अन्त समय में भगवान राम ने सरयू में जल समाधि लेकर राम अवतार का समापन किया।

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