न्यूज डेस्क (देवव्रत उपाध्याय): दिल्ली की एक कोर्ट ने बीते मंगलवार (18 अक्टूबर 2022) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) की जमानत याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू कर दी। विशेष न्यायाधीश विकास ढुल की अदालत में आज (19 अक्टूबर 2022)) भी सुनवाई जारी रही। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा (Special Public Prosecutor NK Matta) ने अतिरिक्त हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि मंत्री “जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं”।
अंकुश जैन और अन्य आरोपी वैभव जैन की ओर से पेश अधिवक्ता सुशील गुप्ता ने कहा कि मामले में अपराध की कोई कार्यवाही पायी गयी है। उन्होंने कहा कि सीबीआई (CBI) ने अपनी जांच के बाद साजिश का कोई आरोप नहीं लगाया था और ईडी ने मामले में तिल का ताड़ बना दिया। इस बीच जैन ने मामले को दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज करने के हाईकोर्ट को चुनौती देने वाली अपनी याचिका सोमवार (17 अक्टूबर 2022) को वापस ले ली।
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल जैन (Judge Geetanjali Goel Jain) की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, लेकिन ईडी ने न्यायाधीश की ओर से पक्षपात का दावा करते हुए मामले को दूसरी पीठ को ट्रांसफर करने की मांग की। दिल्ली की एक अदालत ने 23 सितंबर को मामले की कार्यवाही दूसरे न्यायाधीश को ट्रांसफर कर दी थी। जैन ने उसी दिन ट्रांसफर के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का रूख किया। 1 अक्टूबर को उनकी याचिका खारिज कर दी गयी।
मामला 2017 का है जब सीबीआई ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत मंत्री और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एजेंसी ने मामले में दिसंबर 2018 में चार्जशीट दायर की थी। ईडी ने 30 मई को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किये गये जैन को न्यायिक हिरासत में रखा है। जून में विशेष न्यायाधीश गोयल ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने आरोप लगाया है कि जैन की गिरफ्तारी सियासी पैंतरा है और भाजपा हिमाचल प्रदेश चुनाव से पहले पार्टी के चुनावी अभियान को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। बता दे कि जैन हिमाचल चुनाव (Himachal Elections) के लिये पार्टी के चुनाव प्रभारी थे।