Election Result Analysis: पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में पंजाब को छोड़कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा की जनता ने बीजेपी को बहुमत से जनादेश मिला। ऐसे में सियासी पंड़ितों ने विपक्षी दलों को 2027 में फिर से कोशिश करने की नसीहत दी। जो लोग दावा कर रहे थे कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ लहर है, वो समझ गये कि लहर उनके पक्ष में जा रही है, उनके खिलाफ नहीं और भाजपा ने इन चार राज्यों में सत्ता समर्थक लहर के कारण चुनाव जीता। योगी के अलावा दूसरे सुपरस्टार अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) थे, जिनकी पार्टी ने पंजाब को पूरी तरह से क्लीन स्वीप कर दिया और पंजाब की राजनीति के बड़े बड़े महाराजाओं को धूल चटा दी।
एक जमाने में मशहूर कॉमेडी शो लाफ्टर चैलेंज में नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) जज हुआ करते थे और भगवंत मान इसमें कंटेस्टेंट थे लेकिन आज अंक देने की बारी भगवंत मान (Bhagwant Mann) की थी। और उन्होंने अपने पुराने जज नवजोत सिंह सिद्धू को 100 में से जीरो नंबर दिया।
उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बना रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) चुनाव हार गये। कुल मिलाकर चुनावों का विश्लेषण ये है कि ये नये भारत का चुनाव है, ये चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे, उनकी ईमानदार छवि और उनके शानदार काम के दम पर जीता गया है। इसलिए विपक्ष का कोई नेता उनके सामने टिक नहीं पाया। चुनाव ये भी दिखाता है कि कोविड से दो साल के लंबे संघर्ष, तमाम लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के बावजूद मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी, बल्कि ये और काफी बढ़ गयी।
विपक्ष के नेताओं को भी एक नये वोट बैंक के बारे में पता चला है और वो है विकास का वोट बैंक, जिसकी चाबी सिर्फ मोदी के पास है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो ही सीटें जीत सकी और पंजाब में भी बुरी तरह हार गयी। ऐसे में आज बड़ा सवाल ये है कि क्या इस हार की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी (Priyanka Gandhi Vadra and Rahul Gandhi) को दी जायेगी? इसी तरह एक और सवाल ये कि क्या मायावती (Mayawati) का राजनीतिक करियर खत्म होने के कगार पर है क्योंकि पूरे यूपी में बसपा को सिर्फ एक ही सीट मिली।
खास बात ये रही कि 37 साल बाद हुआ है, जब उत्तर प्रदेश में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। ऐसा पहले साल 1985 में हुआ था, जब कांग्रेस पार्टी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता था। लेकिन आज वही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2 सीटों पर सिमट गयी है यानि जिन चरणों में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए थे, कांग्रेस उतनी भी सीटें नहीं जीत पायी। उसे 7 सीटें भी नहीं मिलीं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने कई नये रिकॉर्ड बनाये। उत्तर प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब कोई मुख्यमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से इस पद की जिम्मेदारी संभालेगा।
वोट प्रतिशत के मामले में भी बीजेपी ने 2017 का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया। साल 2017 में उसे 40 फीसदी वोट मिले थे लेकिन इस बार उसे 42 फीसदी वोट मिले। समाजवादी पार्टी को करीब 32 फीसदी, बसपा को 12.5 फीसदी और कांग्रेस को 2.5 फीसदी वोट भी नहीं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को करीब चार करोड़ वोट मिले। ये कनाडा जैसे देश की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। इन नतीजों ने साबित कर दिया कि सत्ता समर्थक लहर भी है। पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही थी। ऐसे में बाकी सभी चार राज्यों में बीजेपी की जीत की लहर चल रही थी।
इन चुनावों में राजनीति के बड़े-बड़े महाराजा भी चारों खाने चित्त हो गये। पंजाब में प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal), सुखबीर सिंह बादल, नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh), विक्रम मजीठिया और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपनी सीटों से हार गये। इसके अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस नेता हरीश रावत भी चुनाव हार गये।
एक और बात- उत्तर भारत अब जाति की राजनीति को पीछे छोड़ चुका है। और उत्तर प्रदेश में जाति की राजनीति करने वाली पार्टियों को भारी हार का सामना करना पड़ा, जबकि माय फैक्टर का मतलब अब मुस्लिम प्लस यादव नहीं है बल्कि मोदी प्लस योगी बन गये हैं।
इसके अलावा उत्तराखंड के नतीजों ने एक बार फिर एग्जिट पोल को गलत साबित कर दिया। सभी एग्जिट पोल में ये अनुमान लगाया गया था कि उत्तराखंड में बीजेपी की हार होने वाली है और कांग्रेस सरकार बना सकती है लेकिन चुनाव में कांग्रेस बीजेपी को टक्कर भी नहीं दे पायी।
पंजाब में आज आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की प्रचंड जीत ने अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नेता बना दिया। अब केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भिड़ेंगे। और इन नतीजों ने ये भी संकेत दे दिया है कि मायावती का राजनीतिक सफर अब खात्मे की ओर है, क्योंकि इन चुनावों में बसपा का हाथी जितना दमदार था, उसके दांत भी उतने ही असरदार नहीं दिखे।
इस जनादेश ने ब्रांड मोदी को देश के सामने और भी मजबूती से खड़ा कर दिया है। इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी चुनौती देने वाले थे और ना कि डिफेंडर। भाजपा ही नहीं बल्कि पूरे एनडीए ने उनके नाम पर चुनाव लड़ा और उसे शानदार ढंग से अंजाम दिया। तो आप इन नतीजों को प्रधानमंत्री मोदी पर देश का जनमत संग्रह भी कह सकते हैं।