लाइफ स्टाइल डेस्क (देविका चौधरी): Erectile Dysfunction को सीधे शब्दों में समझ जाये तो, ये सैक्स के दौरान लिंग में पर्याप्त उत्तेजना की कमी, सख़्ती और कम सैक्स टाइमिंग से जुड़ा हुआ मसला है। मौजूदा दौर में कई पुरूष इस समस्या से जूझ रहे है। ऐसे में वो इसे या तो जानबूझकर इग्नोर करते है या फिर मर्दानगी से जुड़ा हुआ मसला समझकर इसके बारे में बात करने से हिचकते है। इस समस्या को इग्नोर करना, इलाज ना कराना और जागरूकता के लिए बातचीत ना करना आगे चलकर गंभीर नतीज़े पैदा कर सकता है। जिससे आपकी निजी ज़िन्दगी बर्बाद होने के कगार पर पहुँच जाती है। आमतौर पर इसके शिकार 40 से 70 वर्ष के पुरुषों होते है।
वैसे सैक्स बड़े स्तर पर साइकोलॉजिकल खेल है, लेकिन इसमें केमिस्ट्री और बॉयोलॉजी भी जुड़ी हुई है। इसलिए जब इन तीनों के बीच किसी तरह का असंतुलन पैदा होता है तो इरेक्टाइल डिस्फंकशन (ED) जैसी समस्यायें पैदा होती है। डायट, डिप्रेशन, स्ट्रैस के कारण ईडी के मरीज लगातार बढ़ रहे है। इसके साथ ही कॉर्डियोवस्कुलर डिज़ीज (Cardiovascular disease), डायबिटीज़, न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर (मिर्गी), यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, मूत्रमार्ग में पथरी, हाई बीपी, केलेस्ट्रॉल और प्रोस्टेट से जुड़े रोग भी लिंग में उत्तेजना की कमी लाते है।
टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का लेवल जरूरत से ज़्यादा कम होने और स्ट्रैस हॉर्मोन कॉर्टिसोल बढ़ने पर भी ये समस्या हो जाती है। गौरतलब है कि सैक्स तब महसूस होता है, जब दिमाग न्यूरल सिग्नल (Neural signal) द्वारा लिंग में ब्लड़ सर्कुलेशन बढ़ा देता है। जब लिंग में रक्त संचार की गड़बड़ी होने लगती है, तब जान लीजिए कि आप इरेक्टाइल डिस्फंकशन के शिकार है। मोटेतौर पर इसे शॉर्ट टर्म और लॉग टर्म में बांटा गया है। मॉर्डन मेडिसिन सिस्टम में इसका इलाज टेस्टोस्टेरोन (एंड्रोडर्म), वाराणनाफिल (लेवित्रा), तडालाफिल (सियालिस) और सिल्डेनाफिल (वियाग्रा) सॉल्ट की दवाओं से किया जाता है।
ये बीमारी चार लेवल पर देखी जा सकती है।
1. सैक्सुअल ड्राइव की कमी महसूस होना। 2. संभोग के दौरान लिंग में पर्याप्त उत्तेजना या सख़्ती की कमी। 3. पेनिट्रेशन के तुरन्त बाद ही डिस्चार्ज होना। 4. इंटरनल सीमन डिस्चार्ज
मामला मर्दानगी से जुड़ा हुआ है। इसीलिए कई नीम-हक़ीम और कथित सैक्सोलॉजिस्ट लोगों को बेवकूफ बनाकर लूटते है। ऐसे में भलाई इसी में है कि, किसी अच्छे यूरोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट से मशवरा ले। इलाज थोड़ा लंबा चल सकता है। इसलिए धैर्य बनाये रखे। ऐलोपैथी के अलावा होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी में भी इसके बेहतर इलाज़ है। बशर्तें आप सही जगह पहुँचे। खानपान, दिनचर्या और मानसिक सेहत को भी बेहतर बनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। झोलाछाप डॉक्टरों और फर्जी नीम-हक़ीमों से बचे।
Erectile Dysfunction से बचने के उपाय
- फिजिकल एक्टीविटी में इज़ाफा करें। मॉर्निंग वॉक, क्रिस-क्रॉस वॉक और रनिंग करने से ये समस्या करीब 41 फीसदी कम हो जाती है।
- विटामिन बी12, विटामिन डी और जिंक के पोषण से भरी डायट अपने रोजाना के खानपान में शामिल करें। सी-फूड और ड्राईफूड लेने पर ज़्यादा जोर डाले। रेड मीट और ऐल्कोहल इस बीमारी को और भड़का सकते है।
- रेगुलर बीपी, शुगर और केलेस्ट्रोल के टेस्ट करवाते रहे। एलडीएल (बुरा केलेस्ट्रोल) की अधिकता और एचडीएल ((बुरा केलेस्ट्रोल)) की कमी भी इसकी अहम वज़ह है। ऐसे में मूंगफली, बादाम, अखरोट और गिरी वाले फल खाकर एचडीएल को शरीर में बैलेंस्ड करें।
- कीगल एक्सरसाइज और लोअर एबडोमिन एक्सरसाइज इस समस्या के लिए काफी लाभकारी है। कूल्हे और जांघों से जुड़ी सभी कसरतें लिंग में ब्लड़ सर्कुलेशन को बेहतर करने में काफी मदद करती है।
- खानपान में मुसली, जिनसेंग, अश्वागंधा और शतावरी का इस्तेमाल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को आपसे कोसों दूर रखता है। रोजाना लाल कच्ची प्याज़ का सेवन भी अच्छा माना जाता है।
- ये सब उपाये करते समय निकोटिन, कैफीन, ऐल्कोहल और ड्रग्स से दूर रहे। ये आपकी सैक्सुअल पावर को खोखल करने का काम करते है।
- समस्या की आहट मिलते ही प्रोस्टेट का रेक्टल टेस्ट और NPT टेस्ट करवाये, ताकि समय रहते दवाई और वैक्यूम पंपिंग थैरेपी से इस समस्या का खत्म किया जा सके।