Yellow Fungus: ब्लैक और व्हाइट फंगस से खतरनाक है येलो फंगस, जानिये इसके बारे में सब कुछ

न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): पूरे भारत में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के बढ़ते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से येलो फंगस (Yellow Fungus) का पहला मामला सामने आया है, जो कि ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस से भी खतरनाक माना जाता है। येलो फंगस के मरीज का फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। येलो फंगस के लक्षणों में सुस्ती, कम भूख, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना खासतौर से शामिल है। कई गंभीर मामलों में मवाद के रिसाव, घावों को धीरे-धीरे भरना, कुपोषण के कारण मल्टी ऑर्गन फेल्योर (Multi organ failure) और गलने के कारण आंखें भी धंस सकती है।

येलो फंगस घातक बीमारी है क्योंकि ये अंदरूनी तौर पर फैलती है। अगर बताये गये लक्षणों में से कोई लक्षण उभरता है तो वक़्त रहते अस्पताल में भर्ती होकर उसका अच्छे इलाज़ हो सकता है।

येलो फंगस की वज़ह

येलो फंगस संक्रमण मुख्य रूप से खराब साफ सफाई की वज़ह से होता है। अपने घर के आस-पास स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिये। बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकने में खासा मदद मिलती है, अगर पुरानी हो चुकी खाने पीने से चीज़े और गंदगी हटा दी जाये।

घर की नमी इस बीमारी को बढ़ाने का मुख्य कारक है। इसलिए इसे हर समय मापना चाहिए क्योंकि बहुत अधिक नमी में बैक्टीरिया और फंगस तेजी से फैलते है। घर में नमी सही स्तर 30% से 40% के बीच होना चाहिये। बहुत अधिक नमी होने की तुलना में कम आर्द्रता (Low humidity) से निपटना आसान है।

येलो फंगस का इलाज

येलो फंगस का एकमात्र उपचार एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है, जो कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाला एंटिफंगल है।

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