न्यूज़ डेस्क (अनुज गुप्ता): अभिनेता सुशांत सिंह (Actor Sushant Singh) की आत्महत्या मामला में तहकीकात से ज़्यादा विवाद हो रहे है। गुत्थियां सुलझाने की बजाये प्रशासनिक औपचारिकताओं को ज्यादा तव्ज़जो दी जा रही है। काफी सिलसिलेवार और योजनाबद्ध तरीके से जनता को भरमाने की कोशिश लगातार की जा रही है। पहले बॉलीवुड (Bollywood) में फैले नेपॉटिज़्म की आड़ में घटना को दबाने की कोशिश की गयी। उसके बाद एकाएक मामले में रिया चक्रवर्ती का मीडिया ट्रायल, सुशांत सिंह को बॉय पोलर और डिप्रेशन में बताना और उसके बाद पैसे के लेन-देन को लेकर धोखाधड़ी और जादू-टोना वाला एंगल। पटना से आये पुलिस अधिकारियों को ज़बरन क्वारंटीन करना और बिहार पुलिस की जांच टीम का सहयोग मुंबई पुलिस द्वारा ना करना। इस मामले में रिया चक्रवर्ती और मुंबई पुलिस कमिशनर परमबीर सिंह बहुत छोटे मोहरें है। पर्दें के पीछे इस गेम को कई बड़े सफेदपोश चेहरे खेल रहे है।
मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के हवाले से टैंड्री न्यूज़ नेटवर्क (Trendy News Network) इस मामले की सारी कड़ियां जोड़ने जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में सीएम उद्धव ठाकरे के करीबी का जुड़ाव है। इस कथित शख़्स पर सीएम ठाकरे की राजनीति, सत्ता, और मराठी गौरव दांव पर लगा हुआ है। जिसे बचाने के लिए रोज नये मनगढ़ंत किस्सों को पुख्ता सबूतों के साथ जनता के सामने परोसा जा रहा है। मुद्दे से जनता और मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए नये नैरिटिव्स रचे जा रहे है। खाकी से खाकी को भिड़वाया जा रहा है। ऐसे तथ्य और साक्ष्यों को प्लान्ट किया जा रहा है, जो गले की नीचे नहीं उतरते है।
सूत्रों के मुताबिक एक्टर सुशांत सिंह की मौत की कहानी 8-9 जून की रात मुंबई से सटे उपनगरीय इलाके मलाड में एक पार्टी के दौरान रची गयी। इस पार्टी में सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर दिशा सालियान समेत मुंबई की राजनीति से जुड़े कई सफेदपोश चेहरे भी शामिल थे। मौके पर दिशा सालियान का रेप किया जाता है। राजनीतिक अस्मिता के साथ खुद को पाक-साफ रखने के लिए, पार्टी में शामिल लोग दिशा सालियान के बलात्कार को आत्महत्या की शक्ल देने की पूरी तैयारियां कर लेते है। रेप होने और मरने के बीच दिशा सालियान सुशांत सिंह से सम्पर्क साधती है। जिससे कि वे अपनी आप बीती उनसे साझा कर सके। दिशा ये अच्छे से जानती थी कि, सुशांत पब्लिक फिगर होने के साथ ओपिनियन लीडर भी है। अगर वो कोई बात कहेगें तो पूरा देश उन्हें तव्ज़जों देगा। इस बीच दिशा को ऊंचाई से उठाकर फेंक दिया जाता है। 9 जून देर रात 2 बजे दिशा दम तोड़ देती है। दिशा की विसरा जांच और पोस्टमॉर्टम 2 दिन बाद 11 जून को किया जाता है। राजनीतिक दबाव के चलते पोस्टमॉर्टम में बलात्कार की बात छिपाकर उसे आप्रकृतिक मौत और आत्महत्या का रूप दिया जाता है। जब जांच आगे बढ़ती है तो एकाएक जादुई ढंग से दिशा के मामले से जुड़ी फाइल मुंबई पुलिस के कम्प्यूटर से डिलीट हो जाती है।
स्रोतों से मिली जानकारी बताती है कि, जब ये बात कथित सफेदपोश चेहरों को पता लगती है कि, इस पूरे षड्यन्त्र की जानकारी सुशांत सिंह तक पहुँच चुकी है तो, वो रिया चक्रवर्ती का सहारा लेकर सुशांत पर मामले में चुप्पी साधने का दबाव बनाते है। रिया सुशांत को चुप कराने का भरसक प्रयास करती है। जिसके लिए सुशांत तैयार नहीं होते। जिसे लेकर 13 जून की रात दोनों के बीच तकरार होती है। रिया खफा होकर वहाँ से निकल जाती है। 14 जून को सुशांत अपने किराये के मकान में मरे पाये जाते है। प्रथम दृष्टया देखकर लगता है कि, उन्होनें आत्महत्या की है। महाराष्ट्र की राजनीति में दबदबा रखने वाले एक खास शख्स की इशारे पर मीडिया में सुशांत के डिप्रेशन, बॉलीवुड में फैले नेपॉटिज़्म, करियर ग्राफ नीचे आने और बाय-पोलर होने की प्रायोजित खब़रे काफी शातिराना ढंग से चलवायी जाती है। इस योजना के तहत बैकडेट में जाकर सुशांत के डिप्रेशन में होने के फर्जी मेडिकल कागजात तैयार करवाये जाते है। जिस पॉश इलाके में सुशांत रहते है, रातोंरात उस इलाके की सीसीटीवी फुटेज गायब करवा दी जाती है।
देशभर में पुलिस के काम करने के तौर-तरीकों से जनता अच्छी तरह वाक़िफ है। सियासी आकाओं को खुश करके ज़्यादातर पुलिस अधिकारी अपना रिटायरमेंट प्लान करते है। मुंबई पुलिस किसके मताहत काम करती है, ये बात लोग अच्छे से समझते है। मामला उस वक्त दिलचस्प बनता है, जब पटना से बिहार पुलिस की टीम मुंबई पहुँचती है। मीडिया में आयी रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस बेहद नपे-तुले अन्दाज़ में बिहार पुलिस को मदद मुहैया करवाती है। मुंबई पुलिस और स्थानीय प्रशासन लगातार बिहार पुलिस के लिए ऐसा माहौल तैयार करता है कि, उनकी जांच प्रक्रिया में देरी हो। इस बीच रिया चक्रवर्ती की हालत गेंहू में घुन वाली हो जाती है। वो बिहार पुलिस के सामने तो नहीं आती लेकिन सोशल मीडिया पर और अपने वकील से मिलने जरूर पहुँच जाती है। जिस तरह से रिया भूमिगत होती है और मंहगा वकील अपने लिए हायर करती है। उससे साफ हो जाता है कि कोई रसूखदार उनकी मदद कर रहा है।
घटनाक्रम को लगातार बदलते देख बिहार पुलिस को मजबूरन अपनी जांच प्रक्रिया बदलनी पड़ती है। ठाकरे सरकार के लिए असली मुसीबतों का दौर 5 अगस्त से शुरू होता है। जब केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय को सूचना देती है कि, बिहार सरकार की उस सिफारिश को मान लिया गया है, जिसमें सुशांत सिंह मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बात कही गयी थी। इस पूरे मामले में सबसे कमजोर कड़ी रिया चक्रवर्ती ही है जो जरा सा दबाव पड़ने पर टूट सकती है। इसलिए उन्हें लगातार बिहार पुलिस से दूर रखा जा रहा है। मामले में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय रिया के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत बयान दर्ज करेगा। साथ ही दिशा सालियान मामले में जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दायर कर दी गयी है।
बीते बुधवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा- सुशांत सिंह की मौत के मामले को आदित्य ठाकरे से जोड़ने की साज़िश हो रही है। महाराष्ट्र के मंत्री और युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
मामला बिल्कुल पानी की तरह साफ है। जिन लोगों ने संजय दत्त की फिल्म प्रस्थानम् देखी होगी। वो पूरे मामले को अच्छी तरह समझ जायेगें।