नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): केन्द्र और किसानों के बीच बने गतिरोध को आज 22 दिन पूरे हो गये। इस बीच किसान आंदोलन (Farmers Protest) में कई नाटकीय घटनाक्रम जुड़े। आंदोलन की गूंज अमेरिका (America), कनाडा (Canada) और ब्रिटेन (Britain) में भी सुनाई दी। कई दौरों की वार्ता के बाद भी केन्द्र सरकार और किसान प्रतिनिधि किसी मुक्म्मल नतीज़े पर नहीं पहुँचे। इसी मद्देनज़र भारतीय किसान यूनियन-टिकैत की अगुवाई में 28 नवंबर से कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर डटे किसानों ने आज महापंचायत (Mahapanchayat) का आवाह्न किया। इसमें यूपी की 18 खाप पंचायतों के प्रमुख नेता शिरकत करेगें। भारतीय किसान यूनियन के नेशनल चेयरपर्सन चौधरी नरेश टिकैत (Naresh Tikait) खुद बालियान खाप के अध्यक्ष हैं।
खाप महापंचायत में लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावनाओं को देखते हुए यूपी पुलिस ने केन्द्रीय बलों की सहायता से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम कर लिये है। इसके साथ ही जिले के कई आला पुलिस अधिकारियों को बंदोबस्त ड्यूटी की कमान सौंप दी गयी है। महापंचायत के बीच धरना-प्रदर्शन में कहीं उग्र ना बढ़ जाये, इसके लिए स्थानीय खुफिया विभाग को अतिरिक्त सर्तकता बरतने के निर्देश दे दिये गये है। इस बात की पुख़्ता संभावना है कि यूपी से सटी दिल्ली सीमा पर ट्रैफिक समस्या देखने को मिल सकती है। अधिकांश खाप प्रतिनिधि महापंचायत में ट्रैक्टरों से पहुँच सकते है। जिसे रोकने लिए पुलिस को डबल बैरिकेटिंग का सहारा लेना पड़ रहा है।
बीते बुधवार को विजय दिवस के मौके पर कई भूतपूर्व सैनिकों का साथ किसानों को मिला। इस दौरान पूर्व सैनिकों ने दावा किया कि- जब तक तीनों केन्द्रीय कृषि कानून (Farm laws) केन्द्र वापस नहीं ले लेती, तब तक वे किसानों के साथ मजबूती से खड़े है। उन्होनें मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों से किसान पर नरमी बरतने की अपील की। साथ ही ईवीएम से चुनाव कराने की भी मुखालफत की। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर लगातार किसानों का जमावड़ा बढ़ रहा है। किसान ज्यादातर दिल्ली की ओर जाने वाली लेन पर चक्का जाम कर रहे है।
इस दौरान किसान प्रतिनिधि प्रदर्शन में शामिल किसानों को असामाजिक और अराजक तत्वों से बचने की सलाह भी दे रहे है। जिससे आंदोलन की दिशा साफ-पाक बनी रहे। इस बीच आम आदमी पार्टी ने खुलकर आंदोलन को समर्थन देने और यथा शक्ति सहायता मुहैया करवाने का आश्वासन दिया है। पार्टी का मानना है कि ये किसानों की सभी मांगें पूरी तरह जायज है। तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों से एक खास समुदाय को फायदा पहुँचने वाला है, जो कि पीएम मोदी के काफी करीबी है।