नई दिल्ली (शौर्य यादव): किसान यूनियनें आंदोलन (Farmers Protest) की दिशा को लेकर अभी भी पुरानी हठधर्मिता पर बनी हुई है। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर इसे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों (International forums) पर ले जाना चाहते है। जिसके लिए किसान प्रतिनिधि अब ब्रिटिश सांसदों को खत लिखकर गुज़ारिश करने वाले है कि 26 जनवरी के मौके पर प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को भारत ना आने दिया जाये। इससे साफ हो जाता है कि ये मसला अभी और काफी दिन बना रहेगा। आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकायें दाखिल की गयी है। अगर वहां से कोई निर्देश-आदेश जारी होता है तो तभी मौजूदा गतिरोध खत्म हो सकेगा।
इस बीच बीते मंगलवार संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक सुबह 10.30 बजे से शाम छह बजे तक चलती रही। जिसमें किसान किसी ठोस नतीज़े पर नहीं पहुँच पाये। बैठक में कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव की चिट्ठी पर गहन चिंतन हुआ। जिसमें किसान प्रतिनिधियों से बातचीत करने की गुहार लगाते हुए उनसे बैठक के लिए उपयुक्त समय मांगा गया था। बैठक के दौरान कुछ किसान संगठनों ने बैठक का समय देकर वार्ता आयोजित करने की मंशा जाहिर की, ताकि वार्ता के दौरान किसानों के मुद्दों को सरगर्मी से उठाया जा सके। उनका मानना था कि मामला कोर्ट में विचारधीन (Under consideration) है। ऐसे में न्यायालय तक ये संदेश नहीं जाना चाहिए कि, हम लोग हठ के कारण अड़े हुए है।
आज किसानों की ओर से कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव की चिट्ठी का ज़वाब भेज दिया जायेगा। ये खत 42 किसान यूनियनों को लिखा गया। पंजाब से जुड़ी किसान यूनियनों के किसान मौजूदा तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के पक्ष में है। साथ ही वो मांग कर रहे है कि नया कानून पारित कर, उसमें एमएसपी सुनिश्चित करने का प्रावधान किये जाये। फिलहाल किसान नेता केन्द्र सरकार से अपनी मांगों को लेकर ‘हां या ना’ में जवाब चाहते है। जिसकी वज़ह से दोनों पक्षों के बीच पांचवें दौर की वार्ता (Fifth round of talks) का आयोजन खटाई में पड़ता दिख रहा है। बैठक के दौरान कई किसान संगठनों ने कृषि मंत्रालय की चिट्ठी को गुमराह करने वाला बताया। जिससे आंदोलन बेपटरी हो सकता है।
बीते मंगलवार कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने उम्मीद जताई कि- जल्द ही किसान यूनियनें सरकार से बातचीत के लिए आगे आयेगी। सरकार ने सभी वार्ता के पक्षकारों को खुल मन से बातचीत के लिए बुलाया है। जिसमें उन्हें अपनी सहूलियत के मुताबिक समय निर्धारित करने की छूट दी गयी है। कृषि मंत्रालय लगातार आंदोलनकारी किसानों के सम्पर्क में है। मामले में खुद गृह मंत्री अमित शाह बड़े किसान नेताओं से बातचीत कर चुके है, लेकिन इसके बावजूद भी आंदोलन का गतिरोख खत्म करने को लेकर कोई वैकल्पिक रास्ता (Alternative route) निकलता नहीं दिख रहा।