न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): समाजवादी पार्टी (SP-Samajwadi Party) एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य (MLC Swami Prasad Maurya) के खिलाफ तुलसीदास द्वारा रचित अवधी भाषा के महाकाव्य रामचरितमानस (Ramcharitmanas) पर उनके बयानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। शिवेंद्र मिश्रा (Shivendra Mishra) की शिकायत पर लखनऊ के हजरतगंज (Hazratganj of Lucknow) थाने में ये एफआईआर दर्ज की गयी। मौर्य ने बीते रविवार (22 जनवरी 2023) रामचरितमानस का हवाला देते हुए विशेष जातियों और संप्रदायों पर आपत्तिजनक बयान दिया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।
मामले पर सपा नेता ने कहा कि, “मुझे रामचरितमानस से कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसके कुछ हिस्सों में खास जातियों और संप्रदायों पर अपमानजनक टिप्पणियां और कटाक्ष हैं। उन्हें हटा दिया जाना चाहिये।” उन्होंने आगे दावा किया कि रामचरितमानस में कुछ शब्द दलित समुदाय (Dalit Community) की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।
एडिशनल डीसीपी राजेश श्रीवास्तव (Additional DCP Rajesh Srivastava) ने कहा कि मिश्रा ने अपनी प्राथमिकी में कहा है कि समाचार चैनलों और समाचार पत्रों के माध्यम से उन्हें पता चला कि मौर्य ने रामचरितमानस के खिलाफ भद्दी टिप्पणियां की हैं और इस तरह के बयानों से समाज में दरार पैदा हो सकती है और सांप्रदायिक तनाव (Communal Tension) पैदा हो सकता है।
हालांकि सपा ने मौर्य के बयान से खुद को अलग कर लिया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा (Uttar Pradesh Assembly) में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने मामले पर कहा कि, “दूसरे मुल्कों समेत हर जगह लोग रामचरितमानस पढ़ते हैं, इसे स्वीकार करते हैं और इसका पालन करते हैं और हम सभी रामचरितमानस का सम्मान करते हैं।”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chowdhary) ने सपा से ये साफ करने को कहा कि ये मौर्य की व्यक्तिगत मान्यता है या पार्टी की। बता दे कि मौर्य 2017 के चुनावों से पहले बसपा (BSP) से भाजपा में चले गये थे। पांच साल बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले वो सपा में शामिल हो गये। चुनाव में हारने के बाद सपा ने उन्हें विधान परिषद के लिये चुनवा दिया।