न्यूज डेस्क (देविका चौधरी): पिछले साल पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर (Durgapur in West Bengal) इलाके से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई, जहां फ्लेवर्ड कंडोम (Flavored Condoms) की बिक्री आसमान छू गयी। आप जो सोच सकते हैं, ये कंडोम सुरक्षित सेक्स के लिये नहीं बल्कि नशे की लत के लिये इस्तेमाल किये जा रहे थे। सामने आये कुछ अध्ययनों के मुताबिक दुर्गापुर में फ्लेवर्ड कंडोम की बिक्री आसमान छू रही है, इसकी वजह इसका गर्भनिरोधक (Contraception) के तौर पर इस्तेमाल होना नहीं बल्कि लोग कंडोम में मौजूद केमिकल का इस्तेमाल नशे के तौर पर कर रहे हैं।
हाल ही के महीनों में खुलासा हुआ कि सेब, स्ट्रॉबेरी और चॉकलेट जैसे फ्लेवर्ड और लुब्रिकेटेड कंडोम (Flavored and Lubricated Condoms) की बिक्री काफी बढ़ गई है और युवा उसमें मौजूद केमिकल्स के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल सेवन करने के लिये कर रहे हैं।
इस तरह कंडोम (Flavored Condoms) बन रहा है नशे का सब़ब
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर फ्लेवर्ड कंडोम को गर्म पानी में ज्यादा देर तक रखा जाये तो फ्लेवर में मौजूद बड़े केमिकल मॉलिक्यूल्स टूटकर एल्कोहलिक कंपाउंड बन जाते हैं, जिसका इस्तेमाल युवा नशे के लत पूरा करने के लिये कर रहे है।
ये कंपाउंड टूटने के बाद सुगंध और धुएं को छोड़ता है, जो कि युवाओं को नशे के लिये उत्साहित करता है। ये पॉलीयूरेथेन (Polyurethane) नाम की सिंथेटिक राल (Synthetic Resin) की वज़ह से होता है, जो कि मादक सुगंध (Heady Scent) पैदा करता है। ये चीज़ कार के कई पुर्जों और रबर की घरेलू चीज़ों में भी मौजूद होती है।
हालांकि इसका नशा खांसी की दवाई, सूंघने वाले गोंद (सॉल्यूशन) और कर्मिशियल गोंद की तरह ही होता है। ये नशा सेहत के लिये कई जोखिम पैदा कर सकता है, साथ ही दिमाग की केमिस्ट्री को बुरी तरह झकझोर सकता है। अगर कोई युवा उम्र बेहद कम पड़ाव पर इस तरह के नशे का सेवन करता है तो ये उसकी आने वाली ज़िन्दगी के लिये बेहद खतरनाक हो सकता है।
उबाले जाने पर फ्लेवर्ड कंडोम की वज़ह से पैदा होना वाला ये धुएं जानलेवा हो सकता हैं, और इससे दिमाग के कोशिकाओं के नुकसान पहुँचने के साथ ही व्यवहार संबंधी मुद्दों के साथ-साथ भावनात्मक उथल-पुथल और कुछ भी सीखने की नाकामी की वज़ह बनता है। इसके अलावा और भी कई मनोवैज्ञानिक मुद्दे हैं जो कि इस केमिकल के जरिये दिमाग पर असर डाल सकते हैं।