नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): Flood Situation In Delhi: आज (11 जुलाई 2023) दिल्ली में यमुना नदी (Yamuna River) खतरे के निशान 206 मीटर को पार कर गयी। जिससे बाढ़ संभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुँचाया जा रहा है। दिल्ली में यमुना नदी अनुमान से काफी पहले सोमवार (10 जुलाई 2023) शाम को खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गयी।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बाढ़-निगरानी पोर्टल के मुताबिक हरियाणा (Haryana) की ओर से यमुनानगर (Yamuna Nagar) में हथिनीकुंड बैराज से नदी में ज्यादा पानी छोड़े जाने की वज़ह से आज सुबह 6 बजे तक पुराने रेलवे पुल पर जल स्तर बढ़कर 206.28 मीटर हो गया। उम्मीद है कि नदी धीरे-धीरे कम होने से पहले मंगलवार दोपहर तक 206.65 मीटर तक के निशान को छू लेगीष
इसी मुद्दे पर बीते सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) ने कहा था कि- “दिल्ली में बाढ़ जैसी हालातों की संभावना नहीं है, लेकिन राजधानी में सरकार किसी भी हालात से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि नदी के 206 मीटर के निशान को पार करते ही निचले इलाकों से लोगों को निकालने का सिलसिला शुरू कर दिया जायेगा। इसी क्रम में पूर्वी दिल्ली जिले के कुछ इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने के बाद सोमवार रात को लोगों को डूब के इलाकों से निकालने की कवायदें शुरू कर दी गयी है।
बता दे कि बचाव की मुहिम के तहत सिर्फ बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को ऊंची जगहों पर बने शिविरों में ले जाया गया है। दिल्ली के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के मुताबिक हथिनीकुंड बैराज (Hathinikund Barrage) पर प्रवाह दर सोमवार को 3 लाख क्यूसेक के निशान तक पहुंच गयी थी। आम तौर पर बैराज पर प्रवाह दर 352 क्यूसेक है, लेकिन जलग्रहण इलाकों में भारी वर्षा से डिस्चार्ज बढ़ जाता है। एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकंड के बराबर होता है। हथिनीकुंड बैराज से पानी दिल्ली पहुंचने में करीब दो से तीन दिन लग जाते हैं।
दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने रविवार (9 जुलाई 2023) को बाढ़ की चेतावनी जारी की थी, साथ ही अधिकारियों को सतर्क रहने और संवेदनशील इलाकों में जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। त्वरित प्रतिक्रिया दल और नावें की भी तैनात की गयी हैं। दिल्ली सरकार ने बाढ़ संभावित इलाकों और यमुना के जल स्तर की निगरानी के लिये 16 कन्ट्रोल रूम बनाये हैं।
उत्तर पश्चिम भारत में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान (Uttar Pradesh and Rajasthan) के कई इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश दर्ज की गयी है। इसके चलते नदियां और नाले उफान पर हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब (Uttarakhand and Punjab) में बुनियादी ढांचों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचा है और आवश्यक सेवायें बाधित हो गयी हैं।
दिल्ली में 1982 के बाद से बीते रविवार सुबह 8:30 बजे खत्म होने वाली 24 घंटे की अवधि में जुलाई में एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश (153 मिमी) देखी गयी। अगले 24 घंटों में दिल्ली में 107 मिमी अतिरिक्त बारिश हुई, जिससे हालात और भी खराब हो गये। भारी बारिश ने सड़कों को तेज धाराओं में तब्दील कर दिया, बारिश ने पार्कों को पानी की भूलभुलैया में और बाज़ारों को जलमग्न इलाकों में बदल दिया।
मूसलाधार बारिश के जवाब में दिल्ली सरकार ने सोमवार को सभी स्कूलों को बंद करने का ऐलान की और सरकारी अधिकारियों की रविवार की छुट्टी रद्द कर दी गयी और उन्हें मैदान में डटे रहने का निर्देश दिया गया। यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण इलाकों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली (Madhya Pradesh and Delhi) के कुछ हिस्से शामिल हैं। दिल्ली में नदी के पास के निचले इलाकों को बाढ़ का खतरा माना जाता है और यहां लगभग 41,000 लोग रहते हैं।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), राजस्व विभाग और निजी लोगों की भूमि होने के बावजूद पिछले कुछ सालों में नदी के बाढ़ वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। पिछले साल सितंबर में यमुना ने दो बार खतरे के निशान को पार किया था और जलस्तर 206.38 मीटर तक पहुंच गया था।
साल 2019 में 18-19 अगस्त को नदी में 8.28 लाख क्यूसेक की चरम प्रवाह दर देखी गयी और जल स्तर 206.6 मीटर तक बढ़ गया। 2013 में ये 207.32 मीटर के स्तर पर पहुंच गया। साल 1978 में नदी का जलस्तर 207.49 मीटर दर्ज किया गया, ये रिकॉर्ड किया गया सबसे ऊंचा नदी के जल का स्तर था।