Vastu Tips: धर्म और कर्म के लिये बेहद जरूरी है स्वास्थ्य शरीर। पुराणों में शरीर में देवालय माना गया है। जिसकी सम्पूर्ण देखभाल करने का विधान निर्धारित है। आयुर्वेद और वास्तुशास्त्र (Ayurveda and Vastu Shastra) संयुक्त रूप से मानवीय शरीर पर अपना सीधा असर डालता है। जिससे जीवन शैली में सुधार होने के साथ ही बीमारियों का खात्मा होता है। इसी क्रम में हम कुछ वास्तुशास्त्र के नियमों के बारें में बताने जा रहे है, जिसका पालन करके कई बीमारियों को होने से रोका जा सकता है।
अच्छी सेहत और बेहतर लाइफस्टाइल के लिये Vastu Tips
1. सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिड़कियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिये बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।
2. दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिये बहुत नुकसानदेह होती हैं। इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे के बाद घर की दक्षिण दिशा स्थित खिड़कियों और दरवाजों पर भारी पर्दे डाल कर रखें। क्योंकि ये किरणें त्वचा एवं कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती हैं।
3. रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
4. गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण (Northeast) में बेडरूम नहीं रखना चाहिये। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्यायें हो सकती हैं।
5. नवजात शिशुओं के लिये घर के पूर्व एवं पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिये।
6. हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिये। ये दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।
7. बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिये। ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
8. वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वास एवं त्वचा संबंधी समस्यायें हो सकती हैं।
9. परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिये। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है।
10. किचन में अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। यदि खाना बनाते समय गृहिणी का मुख उत्तर दिशा में हो तो वो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylitis) और थायरॉइड से प्रभावित हो सकती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाने से बचें। गृहिणी के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी तरह पश्चिम दिशा में मुख करके खाना बनाने से आंख, नाक, कान और गले से संबंधित समस्यायें हो सकती हैं।
11. ये ध्यान रखें कि रात को सोते हुए बेड के बिल्कुल पास मोबाइल, स्टेवलाइजर, कंप्यूटर या टीवी आदि न हो। अन्यथा इनसे निकलने वाली विद्युत-चुंबकीय तरंगें मस्तिष्क, रक्त और हृदय संबंधी रोगों का कारण बन सकती हैं।
12. बेडरूम में पुरानी और बेकार वस्तुओं को इकट्ठा न करें। इससे वातावरण में नकारात्मकता आती है। साथ ही ऐसे चीजों से टायफॉयड और मलेरिया जैसी बीमारियों के वायरस भी जन्म लेते हैं।
13. आंखों की दृष्टि मजबूत बनाने के लिये सुबह जल्दी उठकर, किसी खुले पार्क या हरे-भरे बाग बगीचे में टहलें। वहां मिलने वाला शुद्ध ऑक्सीजन शरीर की सभी ज्ञानेंद्रियों को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होता है।
14. कोशिश होनी चाहिए कि भोजन करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहे। इससे सेहत अच्छी बनी रहती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
15. टीवी देखते हुए खाने की आदत ठीक नहीं है। ऐसा करने पर मन-मस्तिष्क भोजन पर केंद्रित न होकर माहौल के साथ भटकने लगता है। इससे शरीर को संतुलित मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता। साथ ही टीवी से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।