न्यूज डेस्क (राम अजोर): समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दो स्रोतों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड मोटर (Ford Motor) कंपनी भारत में कारों का प्रोडक्शन बंद करने के साथ साथ अपने उत्पादन संयंत्रों (Production Plants) पर ताला लगाने जा रही है। सूत्रों ने दावा किया कि ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि कंपनी के लिये मौजूदा हालातों में भारत में काम करने मुनाफदेह साबित होता नहीं दिख रहा है।
इसके साथ ही फोर्ड एशियाई प्रतिद्वंद्वियों (Asian Rivals) के दबदबे वाले बाजार को छोड़ने वाली लेटेस्ट वाहन निर्माता कंपनी बन जायेगी। सूत्र ने दावा किया कि इस प्रक्रिया को पूरा करने में लगभग एक साल का वक़्त लग जायेगा। जनरल मोटर्स और हार्ले डेविडसन (General Motors and Harley Davidson) जैसी अमेरिकी कंपनियों के बाद फोर्ड भारत में उत्पादन बंद करने वाली वाहन निर्माता है, जो कि एक ऐसा बाजार छोड़ने के कगार पर पहुँच चुकी है, जहां उसकी कभी ठीकठाक पकड़ रहा करती थी।
फिलहाल फोर्ड सुजुकी मोटर कॉर्प और हुंडई मोटर (Suzuki Motor Corp and Hyundai Motor) द्वारा तैयार बाज़ारी माहौल से जूझ रही है। जहां लोग कम कीमत में बेहतरीन सुविधायें हासिल करना चाहते है। भारत में कम लागत वाली कारों के बाज़ार का दबदबा है, जहां फोर्ड को लगातार कई सालों से मुनाफा कमाने के लिये काफी संघर्ष करना पड़ा। आगे रणनीति के तहत फोर्ड भारत में बनी बनायी कारें डीलरों और फ्रैंचाइजी (Dealers and Franchisees) की मदद से बेचेगा। फोर्ड ने पूरी तरह से मन बना लिया है कि वो भारत में किसी तरह की उत्पादन इकाई नहीं चलायेगा।
फिलहाल इसे मामले पर फोर्ड इंडिया ने औपचारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया है। इससे फोर्ड ने कहा था कि वो साल 2021 की दूसरी छमाही में भारत के लिये पूंजी आवंटन योजना पर फैसला करेगा। इससे पहले कंपनी ने पहले रॉयटर्स को बताया था कि फोर्ड लगातार मजबूत कैश फ्लो (Strong Cash Flow) बनाने और 8% कंपनी समायोजित EBIT (ब्याज और कर से पहले की कमाई) मार्जिन हासिल करने की अपनी योजना के अनुरूप पूंजी आवंटित करेगा।
स्थानीय उत्पादन बंद करने ये फैसला उस वक़्त सामने आया जब फोर्ड ने हाल ही में घरेलू कार निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ अपनी साझेदारी को खत्म किया। इस फैसले के साथ ही भारत में फोर्ड ने अपने ज़्यादातर इंडिपेंट ऑप्रेशंस (Independent Operations) की बुनियाद खो दी है, लेकिन कम लागत पर नए वाहन लॉन्च करने की मंजूरी और निवेश की संभावनाओं को अभी तलाशा जा रहा है।
फोर्ड ने 25 साल पहले भारतीय बाज़ार में दस्तक दी थी, लेकिन दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में यात्री वाहनों के बाजार में 2% से भी कम फोर्ड की हिस्सेदारी देखी गयी।