बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के बारे में बड़ा बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि देश का विकास की हिंदू दर के खतरनाक रूप से करीब है, जिसका देश पर बुरा वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है।
रघुराम राजन (Former Governor Raghuram Rajan) ने देश की मौजूदा आर्थिक विकास दर के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च ब्याज दरों और धीमी वैश्विक रफ्तार को देखते हुए हम जल्द ही विकास की हिंदू दर के करीब होंगे।
आरबीआई के पूर्व प्रमुख ने कहा कि प्रति तिमाही आर्थिक विकास में क्रमिक मंदी आयी है। हालातों को खतरें की घंटी बताते हुए राजन ने ये भी खुलासा किया कि पिछले महीने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO- National Statistics Office) की ओर से जारी राष्ट्रीय आय का ताजा अनुमान खासा चिंताजनक था।
विकास की हिंदू दर कई कारकों की वज़ह से भारत की अर्थव्यवस्था (Economy of India) में मंदी का जिक्र करने के लिये अर्थशास्त्रियों की ओर से इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। ‘विकास की हिंदू दर’ शब्द 1991 के आर्थिक सुधारों से पहले भारत की अर्थव्यवस्था की निम्न वार्षिक विकास दर की इंगित करता है।
विकास की हिंदू दर भारतीय आर्थिक इतिहास में ऐसे वक्त की इशारा करती है, जब भारत में विकास 1950 से 1980 के दशक में लगभग 3.5 फीसदी पर स्थिर हो गया था, जबकि प्रति व्यक्ति आय वृद्धि लगभग 1.3 प्रतिशत थी, जो कि आर्थिक विकास की सबसे कम अवधि में से एक थी।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत में जारी रहने वाली विकास दर की रफ्तार को रोकने वाली हिंदू दर के बारे में चेतावनी जारी की है, जिससे देश में भारी आर्थिक गिरावट आ सकती है।
राजन ने कहा कि, “बेशक आशावादी पिछली जीडीपी (GDP) में ऊपर की ओर हुए वित्तीय बदलावों की तरफ इशारा करेंगे, लेकिन मैं क्रमिक मंदी के बारे में चिंतित हूं। निजी क्षेत्र की ओर से बेमन से किये गये निवेश के साथ, आरबीआई GDPअभी भी दरों में लगातार इजाफा कर रहा है, और वैश्विक विकास साल के आखिर में धीमा होने की पुख्ता संभावना है, हमें अतिरिक्त विकास रफ्तार कहां मिलेगी?
आरबीआई के पूर्व प्रमुख ने आगे कहा कि, “मुझे चिंता है कि अगर हम 5% की वृद्धि दर हासिल करते हैं तो हम भाग्यशाली होंगे। ताजातरीन अक्टूबर-दिसंबर भारतीय जीडीपी के आंकड़े (4.4% एक साल पहले और 1% पिछली तिमाही के सापेक्ष) साल की पहली छमाही में धीमी वृद्धि की ओर इशारा करते नज़र आ रहे है।