न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): संयुक्त राज्य अमेरिका (US) ने बीते मंगलवार (2 अगस्त 2022) को अफगानिस्तान के काबुल में ड्रोन हमले में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी (Al-Qaeda Chief Ayman al-Zawahiri) को ढ़ेर कर दिया। ये 71 वर्षीय वही आतंकवादी था, जिसने 9/11 के हमलों में अहम भूमिका निभायी थी, जिसमें लगभग 3,000 निर्दोष लोग मारे गये थे।
साल 2011 में अमेरिका द्वारा एक सैन्य अभियान में ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद अल-जवाहिरी को दुनिया भर के जिहादियों ने अल-कायदा (Al Qaeda) सुप्रीमो चुना। 11 साल बाद अमेरिका (United States of America) ने उसे उसी तरह मार डाला जैसे उसने लादेन को मार गिराया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने कहा कि उनके मुल्क ने अल-जवाहिरी को मारकर 9/11 के हमलों में मारे गये 3,000 निर्दोष लोगों के परिवारों के साथ इंसाफ हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि बिन लादेन की मौत के बाद अल-कायदा का नेतृत्व संभालने वाले जवाहिरी शनिवार (30 जुलाई 2022) शाम को काबुल में एक घर पर सीआईए (CIA) के ड्रोन हमले में मारा गया। जहां वो अपने परिवार के साथ मिलकर लंबे समय से रह रहा था। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार (1 अगस्त 2022) को ये ऐलान किया कि- इंसाफ हो चुका है, ज़वाहिरी को ढ़ेर कर दिया गया है।
बता दे कि ये हवाई हमला अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार सुबह 6:18 बजे (7:18 बजे IST) हुआ।
जिस घर में अल-जवाहिरी छिपा था, वो हाई सिक्योरिटी जोन था, जिसे शेरपुर (Sherpur) के नाम से जाना जाता है। इस इलाके से भारत (India) का दूतावास सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर ही है। अमेरिका और कनाडा (America and Canada) के दूतावास भी वहां से ज्यादा दूर नहीं हैं। कई तालिबान मंत्रियों के कार्यालय भी इसी हाई सिक्योरिटी जोन में हैं। इससे ये साफ होता है कि अल-जवाहिरी तालिबान सरकार की मदद से वहां छिपा हुआ था।
ये भी ध्यान देने की जरूरत है कि जिस घर में अल-जवाहिरी रह रहा था, वो तालिबान सरकार में मंत्री और आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network) प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) के करीबी दोस्त का बताया जाता है।
अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने छह महीने पहले इस हवाई हमले की योजना बनाना शुरू किया था। इसके लिये इस सेफ हाउस और इलाके में कितने नागरिक रहते हैं, इसकी जानकारी जुटाई गयी। उन्होंने तीन मंजिला इमारत की संरचना का भी विश्लेषण किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका के मुताबिक अल-जवाहिरी की पत्नी और बेटी भी ड्रोन स्ट्राइक (Drone Strike) के वक़्त घर में ही मौजूद थीं, लेकिन हमले में सिर्फ अल-कायदा प्रमुख मारा गया, जबकि उनके परिवार को कोई नुकसान नहीं हुआ।
ऑपरेशन के लिये अमेरिकी सेना ने मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया। अमेरिका के मुताबिक उसने इस हमले में एमक्यू-9 रीपर ड्रोन का इस्तेमाल किया। ये वही ड्रोन है जिसका इस्तेमाल ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी (General Qasim Sulemani) को मारने के लिये किया गया था।
इस ड्रोन का वजन 2,223 किलोग्राम है और ये लगभग 1,700 किलोग्राम वजन लेकर 482 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 1,900 किमी तक उड़ सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब ये जमीन से सिर्फ 250 से 300 मीटर ऊपर होता है तो इसका शोर टारगेट को भी सुनाई नहीं देता।
पिछले साल जब अमेरिका ने काबुल और नंगरहार (Kabul and Nangarhar) में हवाई हमले किये थे तो उनमें भी इसी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। अमेरिका का दावा है कि उसने अल-जवाहिरी का खात्मा करने के लिये इसी ड्रोन से हेलफायर मिसाइल लॉन्च की गयी थी।
हेलफायर मिसाइल की बड़ी खासियत यह है कि ये फटती नहीं है। ये छह खतरनाक ब्लेड से लैस है, जो किसी भी गाड़ी की छत को भेदकर टारगेट को निशाना बना सकता है।
2010 से पहले जब अमेरिका हर साल पाकिस्तान (Pakistan) में औसतन एक हजार से ज़्यादा ड्रोन हमले कर रहा था, तब कई नागरिक मारे गये थे और दुनिया भर में अमेरिका की आलोचना की गयी थी। ये तब था जब अमेरिका ने खास टारगेटो को खत्म करने के लिये हेलफायर मिसाइल विकसित की थी। अल-जवाहिरी को इस मिसाइल से निशाना बनाया गया और मार गिराया गया, जब वो सेफ हाउस की बालकनी में खड़ा था।
इस हमले की योजना करीब छह महीने से बनायी गयी थी। अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन को पहली बार 1 जुलाई को अल-जवाहिरी के ठिकानों के बारे में बताया गया था और उन्हें घर का 3D मॉडल दिखाया गया था। इसके बाद 25 जुलाई को बाइडेन ने इस एयरस्ट्राइक को मंजूरी दी। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाये जाने के लगभग एक साल बाद ये बड़ा सैन्य अभियान सामने आया है।